मैं मुंबई के बीचों-बीच धारावी में रहता हूं जो एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी-बस्ती है। यहां पर तकरीबन 7 लाख लोग रहते हैं जिनमें से अधिकांश मज़दूर या स्वरोज़गार प्राप्त लोग हैं। यहां रहने वालों में, बड़ी संख्या में दिहाड़ी मज़दूर हैं और उनकी आजीविका रोज़ाना काम मिलने से ही चलती है। उनके परिवार उनके पैतृक स्थानों में रहते हैं और ये परिवार इन मज़दूरों द्वारा हर महीने भेजे गये पैसे पर निर्भर हैं। धारावी में मज़दूर बहुत ही छोटे कमरों में रहते हैं और एक ही कमरे में कई मज़दूर रहते हैं। यहां 10 बाई 10 फुट के बिना हवा के प्रवाह वाले बहुत से कमरों में 10-10 लोग रहते हैं।…
आगे पढ़ें