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नाज़ी जर्मनी के आत्मसमर्पण की 80वीं वर्षगांठ पर

9 मई, 2025 को नाज़ी जर्मनी के आत्मसमर्पण, जिसके साथ यूरोप में द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हो गया था, की 80वीं वर्षगांठ मनाई गई।

यह एक ऐसा दिन है जिसे पूरी दुनिया के प्रगतिशील और शांतिपसंद लोग, नाज़ी फ़ासीवाद के कहर से दुनिया को आज़ाद कराने के लिए सभी देशों के लाखों-लाखों लोगों द्वारा की गयी अकल्पनीय कुरबानियों का सम्मान करने के लिए, मनाते हैं। यह बोल्शेविक पार्टी के नेतृत्व में, कॉमरेड स्तालिन की अगुआई में, समाजवादी सोवियत संघ के लोगों के वीरतापूर्ण कार्यों का सम्मान करने और उन्हें सलाम करने का दिन है, जिन्होंने नाज़ी जर्मनी को पराजित करने में अगुवा भूमिका निभाई थी। यह यूरोप और एशिया के कब्जे़ वाले देशों के अनगिनत देशभक्तों के कार्यों का सम्मान करने और उन्हें सलाम करने का दिन है, जिन्होंने कम्युनिस्टों के नेतृत्व में, अपने देशों को कब्ज़ाकारी ताक़तों की सेनाओं से आज़ाद कराने के संघर्ष में मौत को मात देने वाला साहस दिखाया था।

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मानव अधिकारों की सर्वव्यापी घोषणा की 75वीं वर्षगांठ :
मानव अधिकारों की गारंटी के लिए पूंजीवादी और साम्राज्यवादी व्यवस्था को ख़त्म करना होगा

पूंजीवादी शोषण को ख़त्म करके और देश के विशाल संसाधनों को मेहनतकश लोगों के हाथों में लाकर ही, समाज अपने सभी सदस्यों की मांगों को पूरा कर सकता है। केवल ऐसे समाज में ही मानव अधिकारों की आधुनिक परिभाषा की पुष्टि की जा सकती है, जो अधिकार समाज के सभी सदस्यों के लिए सर्वव्यापी हों और जिनका उल्लंघन किसी भी बहाने या किसी भी हालत में न हो सके।

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हिरोशिमा और नागासाकी पर बमबारी की 76वीं वर्षगांठ :
साम्राज्यवाद का मानवता के ख़िलाफ़ कभी भी माफ़ न करने के योग्य अपराध

6 अगस्त और 9 अगस्त 1945 को अमरीकी वायु सेना के विमानों ने जापान के शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर क्रमशः दो परमाणु बम गिराए। इतिहास में यह पहला और एकमात्र मौका था जब इतनी बड़ी संख्या में पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को जानबूझकर मारने और नष्ट करने के लिए इतनी घातक क्षमता वाले हथियारों का इस्तेमाल किया गया था।

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द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति की 75वीं वर्षगांठ पर

भाग 5: युद्ध का अंत और विभिन्न देशों और लोगों के उद्देश्य

दूसरे विश्व युद्ध के अंत में, समाजवादी सोवियत संघ विजयी शक्तियों में से एक बड़ी शक्ति के रूप में उभरा। वह दुनियाभर के उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बन गया जो अपने देश को उपनिवेशवादी गुलामी से मुक्त करने के लिए लड़ रहे थे। दूसरी ओर अमरीकी साम्राज्यवाद एक प्रतिक्रियावादी, कम्युनिस्ट-विरोधी, साम्राज्यवादी खेमे के नेता के रूप में उभरकर सामने आया।

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