भारतीय रेल का निजीकरण भाग-1 : भारतीय रेल के निजीकरण के ख़िलाफ़ बढ़ता विरोध
भारतीय रेल हमारे देश की जीवन रेखा है जिसमें हर वर्ष लगभग 800 करोड़ लोग यात्रा करते हैं। चाहे कार्यस्थल हो या फिर गृह नगर या गांव के बीच, करोड़ों मज़दूरों के लिए वह लंबी दूरी की यात्रा का एकमात्र विश्वसनीय और किफ़ायती साधन है।
भारतीय रेल का निजीकरण – भाग-2 : रेलवे का निजीकरण – किसके हित में?
भारतीय रेल का निजीकरण देशी और विदेशी इजारेदार पूंजीपतियों के इशारे पर किया जा रहा है। ये पूंजीपति सस्ते दामों पर भारतीय रेल के विशाल बुनियादी ढांचे, भूमि और प्रशिक्षित मज़दूरों का अधिग्रहण करना चाहते हैं। दशकों से सत्ता में रही सभी पार्टियों द्वारा क़दम-दर-क़दम अपनाए गए निजीकरण का असली कारण यही है।
भारतीय रेलवे का निजीकरण – भाग 3: भारतीय रेलवे का चरणबद्ध निजीकरण
भारतीय रेलवे, देश की अर्थव्यवस्था में, एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। इसके निर्माण में मजदूरों और उनके परिवारों की कई पीढ़ियों ने योगदान दिया है। हिन्दोस्तानी सरकार द्वारा, देश के इस प्रमुख संस्थान को एक सुनियोजित तरीके से तोड़ा जा रहा है और लोगो से छिपाकर, उसका निजीकरण किया जा रहा है।
भारतीय रेल का निजीकरण – भाग 4 : रेलवे के निजीकरण का अंतर्राष्ट्रीय अनुभव
दुनिया के विभिन्न देशों में रेलवे के निजीकरण के अध्ययन से पता चलता है कि इसका लाभ केवल पूंजीवादी इजारेदारों को ही मिला है।
भारतीय रेल का निजीकरण – भाग 5 : हिन्दोस्तान के सभी लोगों को रेल निजीकरण के खि़लाफ़ संघर्ष का समर्थन करना चाहिए
भारतीय रेल का निजीकरण करने की शासक वर्ग की योजना जोरों से आगे बढ़ रही है। केंद्र सरकार ने इस कार्यक्रम को तेज़ी से लागू करने के लिए कोरोना महामारी का फ़ायदा उठाया है। सभी प्रधानमंत्रियों द्वारा बार-बार किए गए वादे, कि भारतीय रेल का निजीकरण कभी भी नहीं किया जाएगा, ये सरेआम बिलकुल झूठे ...