परामर्श के सहभागियों ने अनेक उदाहरण दिये जिनसे यह स्पष्ट होता है कि राज्य का इस्तेमाल करके अपने आप को बड़ा बनाने में, इजारेदार पूंजीपतियों के बीच स्पर्धा न केवल हिन्दोस्तान में आम बात है बल्कि अमरीका, ब्रिटेन, आदि देशों में भी होती है। हर एक इजारेदार घराना इस कोशिश में रहता है कि दूसरों से होड़ में वह अपने लिये सबसे अच्छा सौदा पाये और इसके लिये उन्हें अपने खुद के मंत्रियों, अधिकारियों, पार्टियों, आदि की जरूरत होती है। भ्रष्टाचार इस अर्थव्यवस्था का हम सफर है। हमें कोई भ्रम नहीं होना चाहिये कि अर्थव्यवस्था में इजारेदारी वर्चस्व को खत्म किये बिना, भ्रष्टाचार को खत्म किया जा सकता है। इस अर्थव्यवस्था के अंतर्गत ही कानूनों में बदलाव से या लोकपाल जैसी नई संस्थाओं को बना कर भ्रष्टाचार को खत्म किया जा सकता है, ऐसा मानना बहुत कठिन है।
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