लाखों किसान राजधानी की सीमाओं पर डेरा डाल कर बैठे हैं क्योंकि पुलिस ने उन्हें दिल्ली के अंदर आने से रोक रखा है। 15 दिनों तक डटकर खड़े रहने के बाद, अब अन्त में उन्हें सरकार से एक लिखित जवाब मिला है। किसान मोर्चा ने सरकार के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया जिसमें पहले से पारित पूंजीपति-परस्त कानूनों में कुछ
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हिन्दोस्तानी किसानों के समर्थन में दुनियाभर में प्रदर्शन
किसानों के समर्थन में अलग-अलग देशों में स्थित दूतावासों के सामने भारी रैलियां व प्रदर्शन हो रहे हैं। लाखों लोगों ने याचिकाओं पर हस्ताक्षर किये हैं। इसमें हिन्दोस्तानी मूल के लोग (एन.आर.आई.) और खास तौर पर पंजाब से आये लोग बढ़-चढ़ के हिस्सा ले रहे हैं। उदाहरण के लिये, दूसरी और तीसरी पीढ़ी के पंजाबी नौजवान अपने परिजनों को अमरीका
आगे पढ़ेंसरकार इजारेदार पूंजीपतियों की लालच को पूरा करने पर वचनबद्ध है!
यह मज़दूरों और किसानों का धर्म-युद्ध है!
इन अधर्मियों की हुकूमत को ख़त्म करने का संघर्ष आगे बढ़ायें!
हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केन्द्रीय समिति का बयान, 17 दिसंबर, 2020
देशभर के किसान यह मांग कर रहे हैं कि सरकार ने हाल में जो तीन किसान-विरोधी कानून पास किये थे, उन्हें फौरन रद्द किया जाये। पुलिस ने उन्हें दिल्ली के अंदर आने से रोक रखा है, इसलिये वे राजधानी की सीमाओं पर डेरा डाल कर बैठे हैं। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से हर रोज़ हजारों-हजारों किसान आकर आन्दोलन में जुड़ रहे हैं। राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और सैकड़ों-सैकड़ों मीलों की दूरी से किसान आ रहे हैं। आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और दूसरे राज्यों से किसानों के पूरे जत्थे आ रहे हैं। आज देश के तमान मज़दूर संगठन, छात्र संगठन, महिला और नौजवान संगठन सब किसानों के संघर्ष के समर्थन में खड़े हैं।
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कृषि कानूनों के विरोध में नोहर कलेक्ट्रेट पर जोरदार धरना प्रदर्शन
14 दिसंबर, 2020 को राजस्थान में हनुमानगढ़ जिले की नोहर तहसील पर, इलाके के हजारों किसानों ने जोरदार धरना प्रदर्शन किया। केंद्र सरकार की ओर से लागू किए गए किसान-विरोधी तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन के तहत, आल इंडिया किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर पूरे देश में धरने प्रदर्शन किये गये जा रहे हैं।
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राजस्थान में नोहर के किसानों का 18 दिनों से आमरण अनशन जारी
राजस्थान में हनुमानगढ़ जिले की नोहर तहसील में सिंचाई के पानी की व्यवस्था को लेकर लगातार संघर्ष जारी है। इस संदर्भ में रायसिंहपुरा माइनर पर किसान संघर्ष समिति की अगुवाई में किसानों का प्रदर्शन और आमरण अनशन 17 दिसंबर को लगातार 18 दिनों से जारी है। इसमें सैकड़ों किसान प्रत्येक दिन हिस्सा ले रहे हैं। 11 किसान बिना अन्न-पानी के लगातार अनशन पर बैठे हैं।
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हाईकोर्ट ने हड़ताल कर रही एम्स की नर्सों पर आपदा प्रबंधन अधिनियम में कार्यवाही करने की धमकी दी
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (ए.आई.आई.एम.एस.) के 5000 बहादुर नर्सिंग स्टाफ ने 15 दिसंबर की देर रात को दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को ध्यान में रखते हुये अपना आंदोलन रोक दिया। हड़ताल को जारी रखने पर उनके खि़लाफ़ आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत कार्यावाही करने की धमकी देकर उन्हें रोका गया है। एम्स नर्सेज़ यूनियन ने बेहतर वेतन की मांगों
आगे पढ़ेंकृषि व्यापार का उदारीकरण और राजनीतिक पार्टियों के दोहरे मापदंड
7 दिसंबर को भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों की आलोचना की। जिन्होंने किसान संगठनों द्वारा आयोजित किये गए 8 दिसंबर के ‘भारत बंद’ के समर्थन का ऐलान किया था। उन्होंने इन पार्टियों पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया।
आगे पढ़ें“निजीकरण के खि़लाफ़ एकजुट हों” श्रृंखला की चौथी बैठक:
तेल क्षेत्र के निजीकरण का विरोध करो
26 अक्तूबर, 2020 को कामगर एकता कमेटी (के.ई.सी.) ने तेल क्षेत्र के निजीकरण के विरोध हेतु एक बैठक आयोजित की। इसमें कोचीन और मुंबई बीपीसीएल रिफाइनरी की ट्रेड यूनियनों के नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ-साथ असम, मैंगलोर और इंडियन ऑयल रिफाइनरी तथा रेलवे के अलावा प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों और कॉलेजों के शिक्षकों की ट्रेड यूनियनों के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भी भाग लिया।
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“किसानों के समर्थन में दिल्ली”: किसानों के समर्थन में दिल्लीवासियों का लड़ाकू प्रदर्शन
14 दिसंबर को दिल्ली में आई.टी.ओ. के पास शहीदी पार्क लड़ाकू प्रदर्शनों का केंद्र बन गया, जब सैकड़ों दिल्लीवासी किसानों के आंदोलन का समर्थन और इसके प्रति एकजुटता दर्शाते हुए यहां पर इकठ्ठा हो गए।
आगे पढ़ेंहम मज़दूर अपने किसान भाई-बहनों की जायज़ मांगों का समर्थन करते हैं!
किसान-मज़दूर एकता ज़िंदाबाद!
एक पर हमला सब पर हमला!
मजदूर संगठनों द्वारा जारी किया गया संयुक्त बयान, दिसम्बर 2020
हमारे देश के करोड़ों-करोड़ों तथा दुनियाभर के अनगिनत लोगों के साथ, निम्नलिखित यूनियनों और संगठनों के हम मज़दूर, किसानों की जायज़ मांगों का समर्थन करते हैं और यह मांग करते हैं कि उन्हें तुरंत पूरा किया जाए!
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