NEP_2024-02-04


शिक्षकों और छात्रों ने एन.ई.पी. 2020 को वापस लेने की मांग उठाई

मज़दूर एकता लहर संवाददाता की रिपोर्ट

ऑल-इंडिया फोरम फॉर राइट टू एजुकेशन (ए.आई.एफ.आर.टी.ई.) ने 3 फरवरी, 2024 को नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया।

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भूमि अधिग्रहण का विरोध करने वाले ग्रामीणों के निरंतर उत्पीड़न के ख़िलाफ़ संघर्ष

ओडिशा के जगतसिंहपुर जिले के ढिंकिया गांव के निवासियों ने सशस्त्र पुलिस द्वारा उन पर किए गए क्रूर हमले की दूसरी बरसी पर 14 जनवरी, 2024 को भुवनेश्वर के पी.एम.जी. स्क्वायर पर ‘काला दिवस’ मनाया।

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छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य के निवासियों का कॉर्पोरेटों द्वारा उनकी भूमि हड़पने का विरोध

दिसंबर 2023 की शुरुआत में, भारी पुलिस सुरक्षा के साथ छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य में पेड़ों की कटाई फिर से शुरू हुई। यह प्रक्रिया राज्य विधानसभा के जुलाई 2022 में सर्वसम्मति से एक निजी सदस्य के उस प्रस्ताव के पारित होने के केवल 18 महीने बाद, जिसमें केंद्र सरकार से इन्हीं जंगलों में सभी खनन परियोजनाओं को रद्द करने के लिए कहा गया था।

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लेनिन के निधन की 100वीं बरसी पर:
लेनिन की शिक्षाएं एक अनिवार्य मार्गदर्शक हैं


विश्व स्तर पर, वर्तमान स्थिति कम्युनिस्टों को मार्क्सवाद-लेनिनवाद के मौलिक निष्कर्षों और असूलों पर आधारित होकर, श्रमजीवी क्रांति के सिद्धांत और कार्यनीति को विकसित करने के लिए आह्वान कर रही है।

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यह गणतंत्र बुर्जुआ शासन का एक उपकरण है

प्रिय संपादक, मुझे इस वर्ष 23 जनवरी को सीजीपीआई द्वारा जारी किया गया बयान बहुत पसंद आया, जिसका शीर्षक था, ”यह गणतंत्र बुर्जुआ शासन का एक साधन है।“ इसमें बहुत तीखेपन से बताया गया है कि ”पिछले 74 वर्षों के जीवन के अनुभव से पता चलता है कि भारतीय गणराज्य सभी पहलुओं में संविधान की घोषणाओं के बिल्कुल विपरीत है“।

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सरकार मज़दूरों को इज़रायल भेजना तुरंत बंद करे

इज़रायल में नौकरियों के लिए हज़ारों हिन्दोस्तानी मज़दूरों की भर्ती की जा रही है। इज़रायल एक ऐसा देश है जहां एक जानलेवा युद्ध चल रहा है। नौकरी में भर्ती के लिए 16 जनवरी को रोहतक में भर्ती-अभियान शुरू किया गया था। इससे पहले दिसंबर 2023 में हरियाणा और उत्तर प्रदेश, दोनों सरकारों ने इच्छुक उम्मीदवारों को इंटरव्यू और नौकरी-स्क्रीनिंग के लिए आने की अधिसूचना जारी की थी।

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बहादुर रैट माइनरों को सम्मान

संपादक महोदय,

दिल्ली के श्रमिक संगठनों द्वारा उन बहादुर रैट माइनरों को सम्मानित करने की रिपोर्ट पढ़कर मुझे बहुत खुशी हुई। इन मज़दूरों ने अपनी जान को जोखि़म में डालकर अपने साथी श्रमिकों को बचाया।

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बिजली मज़दूर और उपभोक्ता, “स्मार्ट” मीटरों के झांसे में न आयें!

बिजली आधुनिक जीवन की मूलभूत आवश्यकता है। इसे किफ़ायती दाम पर उपलब्ध कराना सरकार की ज़िम्मेदारी है। इस ज़िम्मेदारी को पूरा करने के बजाय, केंद्र सरकार निजी कंपनियों को अधिकतम मुनाफे़ की गारंटी देने के लिए ऐसे क़दम उठा रही है, जिसके कारण बिजली बहुत से लोगों की पहुंच से बाहर हो जाएगी।

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यह गणतंत्र पूंजीपति वर्ग की हुकूमत का साधन है

हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केंद्रीय समिति का बयान, 23 जनवरी, 2024

हमारे देश के लोग सभी प्रकार के शोषण और उत्पीड़न से मुक्ति की आकांक्षा रखते हैं। इस आकांक्षा को पूरा करने के लिए, पूंजीपति वर्ग की हुकूमत की जगह पर, मज़दूरों और किसानों की हुकूमत स्थापित करनी होगी। ऐसा करके ही सभी प्रकार के शोषण को समाप्त किया जा सकेगा और अर्थव्यवस्था को, पूंजीवादी लालच को पूरा करने के बजाय, लोगों की ज़रूरतों को पूरा करने की दिशा में संचालित किया जा सकेगा।

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Anganwadi workers and helpers


आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अपने अधिकारों की हिफ़ाज़त में संघर्ष करने के लिए ई.एस.एम.ए. (एस्मा) को भी चुनौती दे रही हैं

आंध्र प्रदेश राज्य की सरकार ने 6 जनवरी, 2024 को संघर्ष कर रही आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के ख़िलाफ़ आवश्यक सेवा और रखरखाव अधिनियम, 1971 एस्मा को लागू करने के आदेश जारी कर दिये। इस आदेश के अनुसार, कर्मचारियों पर छः महीने तक, हड़ताल पर जाने पर भी रोक लगा दी गई है। इस मनमाने क़दम से आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बहुत नाराज़ हुईं और उन्होंने एकजुट होकर पिछले 26 दिनों से चल रहे अपने आंदोलन को और भी तेज़ करने का फ़ैसला किया।

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