राष्ट्रों और लोगों के आत्म-निर्धारण के अधिकार के उल्लंघन का कोई औचित्य नहीं हो सकता!

संप्रभु राज्यों में खुद को गठित करके, और किसी भी तरह की दखलंदाज़ी के बिना, राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक विकास का अपना पसंदीदा मार्ग चुनने के राष्ट्रों और लोगों के अधिकार का प्रतिज्ञापन, यह आधुनिक दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण अग्रिम विकासों में एक है। लेकिन इस अधिकार पर अमरीका और साम्राज्यवादी शक्तियां बड़ा आक्रमण कर रही हैं, खुद के रणनैतिक फ़ायदों के लिए देशों की आज़ादी तथा संप्रभुत

आगे पढ़ें

क्षमा याचिका : असली गुनहगारों को सज़ा नहीं!

हिन्दोस्तान के राष्ट्रपति ने राजीव गाँधी हत्याकांड के तीन आरोपियों की क्षमा याचिका ठुकरा दी, जिन्हें अदालतों ने “षडयंत्र में शामिल” होने के लिए दोषी करार दिया था। इसके तुरंत बाद घटनाक्रम तेजी से आगे बढ़ा। तमिलनाडु विधानसभा ने इसका विरोध करते हुए एकमत से प्रस्ताव पारित किया और राष्ट्रपति से इस पर पुनःविचार करने की याचना की। मद्रास उच्च न्यायलय ने फांसी के तारीख को दो सप्ताह के लिए

आगे पढ़ें

राजकीय और व्यक्तिगत आतंकवाद, परजीवी लूट-खसोट वाली अर्थव्यवस्था और सबतरफा भ्रष्टाचार

मणिपुर में बिगड़ती परिस्थिति

जबकि हिन्दोस्तान के शासक दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का दावा करते हैं, मणिपुर में लगातार सैनिक राज की परिस्थिति में भ्रष्टाचार और परजीवीपन असहनीय स्तर पर पहुंच गये हैं।

आगे पढ़ें

कश्मीर में बर्बर राजकीय आतंकवाद का भयानक सत्यापन

हज़ारों निरपराध कश्मीरियों की निष्ठुर हत्या की भयानक सच्चाई का फिर से सत्यापन हुआ जब 17 अगस्त, 2011 को राज्य मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट प्रकाशित हुई। इस रिपोर्ट ने स्पष्ट किया कि उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा, बारामुला और बंदीपुर जि़लों में बेनिशान कब्रिस्तान हैं। 38 ऐसे कब्रिस्तानों में जांच करने वाली टीम ने 2,730 कब्रों को पहचाना। उनमें से 2,156 में गुमनाम लोगों की लाशें थी। इस राक्षसी, अमानवी

आगे पढ़ें

पानी की राजनीति : आप ‘आम’ हो या ‘विधायक के खास’

9 सितम्बर, 2011 को संजय कालोनी के निवासियों ने लोक राज समिति की अगुवाई में ओखला औद्योगिक क्षेत्र-2स्थित अधिशासी अभियंता, दिल्ली जल बोर्ड पर एक दिवसीय धरना दिया।

पानी न देने व शिकायतकर्ता के साथ बदसलूकी करने के खिलाफ़, जल बोर्ड में पार्टीवादी राजनीति को खत्म करने के लिए, तथा रिहायशी बस्तियों में पानी का कनेक्शन देने की मांग को लेकर यह धरना दिया गया।

आगे पढ़ें

एयर इंडिया के कैजुवेल मज़दूर संगठित हुये

अपने अधिकारों की पुष्टि के लिये एयर इंडिया के कैजुवेल मज़दूर अपनी यूनियन बनाने का प्रयास कर रहे हैं और संघर्ष की राह पर हैं। वे स्थायी मज़दूरों बतौर मान्यता चाहते हैं और समान काम के लिये स्थायी मज़दूरों के बराबर का वेतन चाहते हैं। चेन्नई में एयर इंडिया के लिये काम करने वाले करीब 500 मज़दूरों ने इसमें पहलकदमी की है। देश भर के विभिन्न हवाई अड्डों में एयर इंडिया के करीब 2500 कैजुवेल मज़दूर हैं।

आगे पढ़ें

अघोषित तालाबंदी के खिलाफ़ मारूती-सुजुकी के मजदूरों का संघर्ष

12 सितम्बर, 2011 को मारूती-सुजुकी इम्प्लाईज यूनियन ने गुड़गांव के कमला नेहरू पार्क से लेकर लघु सचिवालय तक एक विशाल रैली निकाली।

‘गुड कंडक्ट बांड’ की शर्त को हटाने, यूनियन के पदाधिकारियों सहित अन्य सभी मजदूरों को काम पर वापस लेने, यूनियन को मान्यता देने की मांग को लेकर यह रैली निकाली गई। इस रैली में 3000 से ज्यादा मजदूरों ने हिस्सा लिया।

आगे पढ़ें

स्थायी की मांग को लेकर मुंजाल में हड़ताल

12 सितम्बर, 2011 को शाम 4 बजे से हरियाणा के मानेसर के आईएमटी स्थित मुंजाल शोवा के मजदूरों ने स्थायी किये जाने की मांग को लेकर कंपनी के अंदर ही हड़ताल का बिगुल बजा दिया।

आगे पढ़ें

खुदरा व्यापार को बड़ी-बड़ी विदेशी कंपनियों के लिए खोलने का कदम

खुदरा व्यापार में पूंजीपति इज़ारेदार कंपनियों के आने से खाद्य पदार्थों की कीमतों पर नियंत्रण लाने में मदद होगी, ऐसा दावा करके हिन्दोस्तानी सरकार अपने देश के बहुसंख्यक मेहनतकशों को बुध्दू बनाने की कोशिशकर रही है। इज़ारेदार कंपनियों का असली मकसद आवश्यक चीज़ों को मुनासिब दामों में प्रदान करना नहीं, बल्कि उत्पादकों के खून-पसीने को चूस कर अधिकतम मुनाफ़ा बनाना ही है। सरकार का असली मकसद है इसी के लिए अ

आगे पढ़ें