एयर इंडिया के 800 विमान-चालकों की प्रभावशाली हड़ताल ने फिर एक बार साफ दिखाया है कि संप्रग सरकार एक व्यवस्थित तरीके से एयर इंडिया को बरबाद करने और उसका निजीकरण करने की नीति लागू करती आयी है। एयर इंडिया की इस बरबादी और निजीकरण के विरोध के संघर्ष का नेतृत्व, ऑल इंडिया कैबिन क्रू एसोसियेशन व स्थल कर्मचारियों और इंजीनीयर्स की यूनियन और एयर इंडिया मज़दूरों की दूसरी यूनियनों से साथ, इंडि
आगे पढ़ेंAuthor: hindi_cgpiadmin
पश्चिम बंगाल में माकपा नीत वाम मोर्चा शासन:
वर्तमान लोकतंत्र के अंदर जो पार्टी खुद सत्ता में आना चाहती है, वह अनिवार्यतः इजारेदार पूंजीपतियों के हितों की सेवा करेगी
पश्चिम बंगाल में चल रहे विधान सभा चुनावों के परिणाम चाहे कुछ भी हों, सच्चाई तो यह है कि वहां की तथाकथित मार्क्सवादी सरकार जो दावा करती रही है, उसका बिलकुल उल्टा साबित हो चुकी है।
आगे पढ़ेंलिबिया पर साम्राज्यवादी हमले को फौरन रोको!
पिछले 6 हफ्तों से अमरीका, फ्रांस और ब्रिटेन के युद्ध विमान लिबिया के लोगों पर मौत और तबाही बरसा रहे हैं। उन्होंने यह बहाना देकर लिबिया में हस्तक्षेप शुरु किया था, कि वहां की सरकार विद्रोही लोगों पर ”वहशी दमन“ छेड़ रही है और साम्राज्यवादी ताकतें मानवीय आधार पर ”खून-खराबा रोकना चाहती हैं“।
आगे पढ़ेंहिन्दोस्तान भर में मज़दूरों ने जोश के साथ मई दिवस मनाया
हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के साथियों और समर्थकों ने 2011का मई दिवस दिल्ली स्थित पार्टी ऑफिस में जोशीले उत्साह के साथ मनाया। सुबह-सुबह जोशीले नारों के बीच पार्टी के एक साथी द्वारा लाल झंडा फहराने के साथ जश्न शुरू हुआ। पार्टी के मज़द
आगे पढ़ेंदुनिया भर में करोड़ों मजदूरों ने मई दिवस मनाया
1 मई, 2011 को दुनिया भर में करोड़ों मजदूर पूंजीवादी व्यवस्था की नाइंसाफ़ी के खिलाफ़ सड़कों पर उतर आये और एक नयी दुनिया बनाने का फैसला लिया, जहाँ मानव द्वारा मानव का शोषण नहीं होगा।
लंदन (ब्रिटेन) में दसों हज़ारों मजदूरों ने कलेरकेनवेल्ल ग्रीन पर स्थित मार्क्स की समाधि से ट्राफलगर चैराहे तक एक रैली निकाली। यह एक अन्तर्राष्ट्रीय रैली थी जिसमें ईरानी, तुर्की, हिन्दोस्तानी, श्रीलंका
आगे पढ़ेंअधिकतम लूट-खसौट की पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ़ एकजुट हों!
मजदूर वर्ग को शासक वर्ग बनने के लिये संघर्ष करना होगा!
हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी द्वारा मई दिवस 2011पर आह्वान
मौजूदे पूंजीवादी लोकतंत्र में एक पार्टी या गठबंधन की जगह पर दूसरी पार्टी या गठबंधन को बिठाकर, मेहनतकशों की हालतों में कोई उन्नति नहीं होती। इससे अर्थव्यवस्था की पूंजीवादी दिशा नहीं बदलती। इससे हमारी भूमि व श्रम की लूट नहीं खत्म होती, न हमारे अधिकारों पर हमले। हालत तभी बदल सकती है जब हम, जो देश की दौलत को पैदा करते हैं, खुद इसके मालिक बन जाते हैं। तब और सिर्फ तब ही हम अर्थव्यवस्था को नई दिशा दिलाकर, सभी को खुशहाली और सुरक्षा दिला सकते हैं।
आगे पढ़ेंकार्ल मार्क्स की 193वीं सालगिरह के अवसर पर
मार्क्सवाद की हिफाज़त करने का मतलब है मजदूर वर्ग को क्रान्ति के जरिये समाज को अगले ऊंचे पड़ाव तक ले जाने में सक्षम बनाना
मार्क्स ने आधुनिक मजदूर वर्ग को वह क्रान्तिकारी ताकत बताया, जो समाज को पूंजीवाद से कम्युनिज़्म तक ले जाने में अगुवाई देने को इच्छुक है और इसके काबिल भी है। कम्युनिज़्म का शुरुआती पड़ाव समाजवाद है। मार्क्स ने समझाया कि पूंजी द्वारा उत्पीडि़त सभी वर्गों और तबकों में मजदूर वर्ग ही वह वर्ग है जो पूंजी के बढ़ने और संकेन्द्रित होने के साथ-साथ खुद बढ़ता और शक्तिशाली होता है। किसान और दूसरे छोटे उत्पादक समय के साथ-साथ विघटित होते रहते हैं, कुछ पूंजीपति बन जाते हैं और अधिकतम अपनी संपत्ति को खो कर वेतन भोगी मजदूर बन जाते हैं। मार्क्स ने यह समझाया कि बड़े पैमाने पर समाजीकृत उत्पादन के अन्दर बहुत सारे मजदूरों को एक साथ लाकर पूंजीपति वर्ग खुद अपनी कब्र खोदने वाला आधुनिक मजदूर वर्ग पैदा करता है।
आगे पढ़ेंएयर इंडिया के विमान चालक हड़ताल पर
55 विमान चालक एसोसियेशन के एक नेता ने बताया कि ये मांगें हैं – (1) हम विमान चालक और मजदूर बतौर अपनी इज्जत के लिए संघर्ष कर रहे हैं (2) एयर इंडिया को दिवालिया करने और उसका निजीकरण करने के वर्तमान प्रबंधन और सरकार के प्रयासों का विरोध करेंगे। हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी एयर इंडिया के विमान चालकों के इस जायज़ संघर्ष का पूरा समर्थन करती है।
आगे पढ़ेंव्यवस्था में मूलभूत बदलाव की मांग
परामर्श के सहभागियों ने अनेक उदाहरण दिये जिनसे यह स्पष्ट होता है कि राज्य का इस्तेमाल करके अपने आप को बड़ा बनाने में, इजारेदार पूंजीपतियों के बीच स्पर्धा न केवल हिन्दोस्तान में आम बात है बल्कि अमरीका, ब्रिटेन, आदि देशों में भी होती है। हर एक इजारेदार घराना इस कोशिश में रहता है कि दूसरों से होड़ में वह अपने लिये सबसे अच्छा सौदा पाये और इसके लिये उन्हें अपने खुद के मंत्रियों, अधिकारियों, पार्टियों, आदि की जरूरत होती है। भ्रष्टाचार इस अर्थव्यवस्था का हम सफर है। हमें कोई भ्रम नहीं होना चाहिये कि अर्थव्यवस्था में इजारेदारी वर्चस्व को खत्म किये बिना, भ्रष्टाचार को खत्म किया जा सकता है। इस अर्थव्यवस्था के अंतर्गत ही कानूनों में बदलाव से या लोकपाल जैसी नई संस्थाओं को बना कर भ्रष्टाचार को खत्म किया जा सकता है, ऐसा मानना बहुत कठिन है।
आगे पढ़ें500 से ज्यादा लोगो ने दिया लोक एकता का नारा
17 अप्रैल की शाम, सैकड़ो लोगों ने लोक राज संगठन की आम सभा मे नारा लगाया "मौजूदा राशन प्रणाली का संपूर्ण नवीकरण करो", "सर्वसमावेशक राशन व्यवस्था शुरू करो", "राशन के मुद्देपर आम लोगों को आपस में मत लड़ाओ"I
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