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महाराष्ट्र में एमएसपी अधिकार सम्मेलन का आयोजन


विदर्भ और मराठवाड़ा महाराष्ट्र के दो पिछड़े क्षेत्र हैं। यहां की मुख्य फ़सलें कपास, सोयाबीन और अरहर हैं। इन दोनों क्षेत्रों में क़र्ज़ के कारण राज्य में किसानों की आत्महत्याओं की सबसे बड़ी संख्या देखी गई है। किसान अपने क़र्ज़ के संकट से तभी बाहर निकल पायेंगे जब घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर उनकी फ़सलों की गारंटीकृत ख़रीद होगी।

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दक्षिण रेलवे के लोको पायलटों के न्यायोचित संघर्ष का समर्थन करें!


ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (एआईएलआरएसए) के बैनर तले दक्षिण रेलवे के विभिन्न मंडलों के लोको पायलटों ने 5 अप्रैल 2024 को दक्षिण रेलवे के सभी मंडल कार्यालयों के सामने प्रदर्शन किया।

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अमरीका गाज़ा में इज़रायल के जनसंहारक युद्ध का खुलेआम बचाव कर रहा है और युद्ध को उचित ठहरा रहा है


अमरीकी सरकार के प्रवक्ताओं ने मार्च के अंत में गाज़ा के अलशिफा अस्पताल में इज़रायली सुरक्षा-बलों द्वारा दो सप्ताह तक की गई छापेमारी और क्रूर जनसंहार का खुलेआम बचाव किया है और उसे उचित ठहराया है।

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विश्व व्यापार संगठन का 13वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन :
सबसे शक्तिशाली साम्राज्यवादी राज्यों और इजारेदार पूंजीपतियों की सेवा में


विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू.टी.ओ.) का 13वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन 26-29 फरवरी के दौरान, संयुक्त अरब अमीरात के अबू धाबी शहर में हुआ। सम्मेलन की अवधि एक अतिरिक्त दिन बढ़ाने के बावजूद, यह सम्मेलन उन प्रमुख अंतर्विरोधों को हल करने में विफल रहा, जिन्होंने हाल के वर्षों में डब्ल्यू.टी.ओ. को संकट में डाल दिया है।

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अमेज़न के मज़दूरों ने अपने काम की मुश्किल हालतों को ख़त्म करने की मांग की


इस क्रूर शोषण को कम करने वाली काम की हालतों के लिए अमेज़न मज़दूरों की मांगें पूरी तरह से जायज़ हैं। वे सभी मज़दूर वर्ग के समर्थन के हक़दार हैं।

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हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में बढ़ती अमरीकी साम्राज्यवादी जंग फरोशी


अमरीकी साम्राज्यवादी ‘हिन्द-प्रशांत महासागर’ क्षेत्र में, अन्य देशों के साथ मिलकर, बहुत सारे संयुक्त सैन्य अभ्यास कर रहे हैं। ये सैन्य अभ्यास चीन के खि़लाफ़ अमरीकी साम्राज्यवाद के बढ़ते आक्रमक रुख़ से प्रेरित हैं।

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यूक्रेन में पिछले दो वर्षों से रूस के ख़िलाफ़ अमरीका व नाटो का परोक्षी युद्ध

आज यह समय की मांग है कि इस युद्ध को समाप्त करने और इस इलाके में स्थायी शांति लाने के लिए, बातचीत करके समाधान निकाला जाए।

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मौजूदा पूंजीवादी व्यवस्था में मज़दूरों के जीवन और स्वास्थ्य की कोई क़ीमत नहीं है

समाचार रिपोर्टों के अनुसार, मार्च के महीने के सिर्फ एक सप्ताह, 16 मार्च-22 मार्च, में देशभर के विभिन्न कार्य स्थलों पर, निर्माण स्थलों पर या सीवर की सफाई में लगे, 30 से अधिक मज़दूरों ने अपनी जान गंवा दी। मौतों की वास्तविक संख्या कहीं अधिक होने की संभावना है, क्योंकि अधिकांश ऐसे मामले कभी रिपोर्ट ही नहीं किए जाते। समाचार रिपोर्टों में इन कार्यस्थलों पर घायल हुए मज़दूरों की संख्या शामिल नहीं होती है, जो अक्सर इतने गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं कि वे काम में अक्षम हो जाते हैं।

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स्टेशन मास्टरों, लोको-पायलटों एवं अन्य रेल मज़दूरों की जायज़ मांग का समर्थन करें!

रेलवे कर्मचारियों की अन्यायपूर्ण बर्ख़ास्तगी को तुरंत रद्द करो!

मार्च, 2024 के दौरान भारतीय रेल के विभिन्न विभागों के मज़दूरों द्वारा – भारतीय रेल के निजीकरण को तत्काल रोकने, ओ.पी.एस. लागू करने, सभी रिक्तियों को भरने, हिदोस्तान की सरकार के श्रम और रोज़गार मंत्रालय के काम और आराम की अवधि (एच.ओ.ई.आर.) नियमों के समय के अनुसार ड्यूटी करने, कामकाजी परिस्थितियों में सुधार, कुछ कर्मचारियों को अन्यायपूर्ण अनुशासनात्मक प्राधिकरण द्वारा लगाए गए दंड को तत्काल वापस लेने, आदि विभिन्न मांगों को लेकर देश के सभी क्षेत्रों में कई आंदोलन किए गये।

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एम.एस.ई.डब्ल्यू.एफ. ने स्मार्ट मीटर का विरोध करने का निर्णय लिया

कामगार एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट

13 मार्च, 2024 को महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन (एम.एस.ई.डब्ल्यू.एफ.) ने “स्मार्ट मीटर – मिथक और वास्तविकता” विषय पर एक ज़ूम मीटिंग आयोजित की। उन्होंने प्रस्तुति करने के लिए कामगार एकता कमेटी (के.ई.सी.) को आमंत्रित किया। ज़ूम मीटिंग में पूरे महाराष्ट्र से एम.एस.ई.डब्ल्यू.एफ. के 75 से अधिक पदाधिकारियों ने भाग लिया।

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