हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केन्द्रीय समिति का बयान, 23 मई, 2025
हिन्दोस्तानी सुरक्षा बलों ने 21 मई को भाकपा (माओवादी) के महासचिव कामरेड केशव राव और 26 अन्य पार्टी सदस्यों को छत्तीसगढ़ व तेलंगाना की सीमा पर स्थित कर्रीगट्टा पहाड़ियों के जंगल में घेरकर मार डाला।
हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केंद्रीय समिति हिन्दोस्तानी राज्य द्वारा भाकपा (माओवादी) के नेताओं व कार्यकर्ताओं और आदिवासियों की निर्मम हत्या की निंदा करती है।
इज़रायल ने गाज़ा में अपने जनसंहारक अभियान को और तेज़ कर दिया है
अमरीकी साम्राज्यवाद द्वारा समर्थित इज़रायल द्वारा फ़िलिस्तीनी लोगों के ख़िलाफ़ किए गए अपराधों को कभी भी भुलाया या माफ़ नहीं किया जा सकता। अपनी मातृभूमि पर अपने अधिकार की हिफ़ाज़त के लिए, इज़रायली हमले के ख़िलाफ़, फ़िलिस्तीनी लोगों का बहादुर संघर्ष, पूरी तरह से जायज़ है। सभी स्वतंत्रता-प्रेमी लोगों को, अमरीकी साम्राज्यवाद के पूर्ण समर्थन के साथ इज़रायल द्वारा छेड़े जा रहे नरसंहार युद्ध के ख़िलाफ़, अपनी आवाज को मजबूती से, बुलंद करना चाहिए और अपनी मातृभूमि पर फ़िलिस्तीनी लोगों के अधिकारों की पूर्ण बहाली की मांग करनी चाहिए।
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आयात शुल्क क्या हैं?
उनका मकसद क्या है?
आयात शुल्क पूंजीवादी सरकारों द्वारा घरेलू उत्पादकों को समान वस्तुओं के विदेशी उत्पादकों द्वारा प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक साधन है। वे कर राजस्व के स्रोत के रूप में भी काम करते हैं। अन्य सभी अप्रत्यक्ष करों की तरह, आयात शुल्क खुदरा बाज़ार में वस्तुओं की बिक्री के मूल्य को बढ़ाते हैं।
आगे पढ़ेंव्यक्तिगत डिजिटल डेटा संरक्षण अधिनियम :
राज्य की निगरानी को न्यायोचित बनाने और लोगों के अधिकारों पर हमला करने का एक साधन
नियम 22 ने इसे एक क़दम और आगे बढ़ाया है, जिससे सरकार को व्यक्तियों की सहमति के बिना, कंपनियों से संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा मांगने का व्यापक विवेकाधिकार मिल गया है। इसका मतलब है कि कोई भी सरकारी एजेंसी – खुफिया ब्यूरो से लेकर स्थानीय पुलिस स्टेशन तक – क़ानूनी रूप से बिना सहमति, बिना सुरक्षा-उपायों और बिना जवाबदेही के, व्यक्तिगत डेटा को संसाधित कर सकती है।
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हिन्दोस्तान-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते का दोनों देशों के किसानों ने विरोध किया
हिन्दोस्तान और यू.के. के बीच हस्ताक्षरित मुक्त व्यापार समझौते का उद्देश्य दोनों देशों के इजारेदार पूंजीपतियों के हितों को आगे बढ़ाना है, जिसमें कृषि उपज के व्यापार में शामिल लोग भी हैं। दोनों देशों के किसानों द्वारा एफटीए का विरोध किया जाना उचित है।
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नाज़ी जर्मनी के आत्मसमर्पण की 80वीं वर्षगांठ पर
9 मई, 2025 को नाज़ी जर्मनी के आत्मसमर्पण, जिसके साथ यूरोप में द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हो गया था, की 80वीं वर्षगांठ मनाई गई।
यह एक ऐसा दिन है जिसे पूरी दुनिया के प्रगतिशील और शांतिपसंद लोग, नाज़ी फ़ासीवाद के कहर से दुनिया को आज़ाद कराने के लिए सभी देशों के लाखों-लाखों लोगों द्वारा की गयी अकल्पनीय कुरबानियों का सम्मान करने के लिए मनाते हैं। यह बोल्शेविक पार्टी के नेतृत्व में, कॉमरेड स्तालिन की अगुआई में, समाजवादी सोवियत संघ के लोगों के वीरतापूर्ण कार्यों का सम्मान करने और उन्हें सलाम करने का दिन है, जिन्होंने नाज़ी जर्मनी को पराजित करने में अगुवा भूमिका निभाई थी। यह यूरोप और एशिया के कब्जे़ वाले देशों के अनगिनत देशभक्तों के कार्यों का सम्मान करने और उन्हें सलाम करने का दिन है, जिन्होंने कम्युनिस्टों के नेतृत्व में, अपने देशों को क़ब्ज़ाकारी ताक़तों की सेनाओं से आज़ाद कराने के संघर्ष में मौत को मात देने वाला साहस दिखाया था।
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तमिलनाडु में मई दिवस बड़े उत्साह के साथ मनाया गया
वर्कर्स यूनिटी मूवमेंट के संवाददाता की रिपोर्ट
तमिलनाडु में कामगारों ने अपने काम और जीवन की अत्यंत शोषक स्थितियों के प्रति बहुत गुस्से के साथ तथा इस नरभक्षी व्यवस्था को समाप्त करने के लिए उत्साह और संकल्प के साथ मई दिवस मनाया।
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किसानों ने अपनी मांगों के समर्थन में संघर्ष तेज़ किया
किसानों ने अपनी मांगों को उजागर करने के लिए 6 मई को शंभू सीमा तक मार्च की योजना बनाई थी। पंजाब सरकार और उसके पुलिस बलों ने किसानों के जुलूस को रोकने के लिए सबसे आपराधिक तरीक़ों का इस्तेमाल किया।
कई किसान नेताओं को घर में नज़रबंद कर दिया गया, जबकि कई अन्य किसान कार्यकर्ताओं को नियोजित मार्च से एक दिन पहले पुलिस थानों में हिरासत में ले लिया गया। जैसे ही किसान जुलूस की तैयारी के लिए मोगा और जगरांव में इकट्ठा होने लगे, उन्हें रोक दिया गया। पुलिस ने बैरिकेड्स लगाए, शंभू बॉर्डर तक किसानों के जुलूस को रोकने के लिए रेत से लदे ट्रक और टिपर तैनात किए।
किसान निडर होकर अपनी मांगों के लिए संघर्ष को जारी रखने के लिए दृढ़-संकल्प हैं।
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अमरीकी साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ वियतनामी लोगों की महान प्रेरणादायी जीत को कभी नहीं भुलाया जा सकता!
पचास साल पहले, 30 अप्रैल, 1975 को वियतनाम के लोगों ने, हो ची मिन्ह के अगुवाई वाली अपनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में, अपने देश को आज़ाद कराया था। 20 साल लंबे एक बहादुर मुक्ति युद्ध के बाद, अदम्य वियतनामी लोगों ने साइगॉन (जिसे अब हो ची मिन्ह सिटी के रूप में जाना जाता है) में स्थित, अमरीकी साम्राज्यवाद और उसके कठपुतली शासन को एक करारी शिकस्त दी थी। अंत में जब वियतनामी मुक्ति सेनानियों के टैंक और सेना साइगॉन में घुसे, तो दुनिया की सबसे शक्तिशाली साम्राज्यवादी ताक़त के हाथों में मौजूद सभी बम, हथियार, विमान और घातक शस्त्रागार बेकार हो गए। अमरीकी राजदूत, अन्य पदाधिकारियों और उनके चमचों की शहर से भागने की हताश कोशिश में हेलीकॉप्टरों पर चढ़ने की तस्वीरें, कोई नहीं भूल सकता।
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कर्नाटक में आईटी मज़दूरों ने मई दिवस पर रैली निकाली
वर्कर्स यूनिटी मूवमेंट के संवाददाता की रिपोर्ट
मई दिवस के अवसर पर सैकड़ों आईटी मज़दूरों ने कर्नाटक स्टेट आईटी/आईटीईज़ एम्प्लॉइज़ यूनियन (केआईटीयू) के बैनर तले बेंगलुरु टाउन हॉल से फ्रीडम पार्क तक जोषपूर्ण जुलूस निकाला।
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