सेंट्रल पोस्टल ज्वाइंट कौंसिल ऑफ एक्शन ने घोषित किया है कि देशभर के पोस्टल कर्मचारी संघर्ष तेज करेंगे। यह भी हो सकता है कि वे अनिश्चित हड़ताल करें।
“डाकिया डाक लाया, डाकिया डाक लाया” यह गाना जिनके बारे में हम सभी बचपन में गाया करते थे और जिन्हें अपने दरवाजे पर देखने से ऑंखें चमक उठा करती थीं, उन डाकियों का क्या दर्द है?
सेंट्रल पोस्टल ज्वाइंट कौंसिल ऑफ एक्शन ने घोषित किया है कि देशभर के पोस्टल कर्मचारी संघर्ष तेज करेंगे। यह भी हो सकता है कि वे अनिश्चित हड़ताल करें।
“डाकिया डाक लाया, डाकिया डाक लाया” यह गाना जिनके बारे में हम सभी बचपन में गाया करते थे और जिन्हें अपने दरवाजे पर देखने से ऑंखें चमक उठा करती थीं, उन डाकियों का क्या दर्द है?
सरकार ने मेकेंजी नामक अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार कंपनी को काम दिया है कि डाक व्यवस्था को सुधारने का प्रस्ताव दें। यह कंपनी जब भी इस तरह का काम लेती है तब हमेशा ही सबसे पहले नौकरियों में कटौती का सुझाव देती है। इसीलिए वह मजदूरों में कुख्यात है और सभी पूंजीपतियों की लाडली भी है।
केंद्र सरकार ने भी इसी उद्देश्य से उन्हें यह काम दिया। मेकेंजी ने 10,000से भी ज्यादा पोस्ट ऑफिस तथा 300से ज्यादा रेल-मेल सर्विस बंद करने का सुझाव दिया है। ऐसा नहीं किया तो डाक सेवा मुनाफा नहीं कमा सकती यही तर्क इस सुझाव के पीछे है।
डाक कर्मचारी इसका विरोध कर रहे हैं। इस तरह का कदम उठाने का मतलब 5लाख से ज्यादा डाक कर्मचारियों की रोजी-रोटी बंद हो जाएगी। ग्रामीण तथा छोटे शहरों में रहने वाले नागरिकों को भी इससे भारी नुकसान होगा। सरकारी डाक घर अगर बंद होते हैं तो उन सबको निजी कुरियर कंपनियों पर निर्भर होना पड़ेगा जिनकी सेवा बहुत ज्यादा महंगी होती है और ग्रामीण इलाके में उपलब्ध ही नहीं होती।
वैसे तो सरकार की डाक सेवा भी लगातार महंगी होती जा रही है। केवल दस पैसे में देश के किसी भी कोने में खत भेजा जा सकता था जो अब काफी महंगा हो गया है। मगर फिर भी आम लोगों की पहुंच से बाहर नहीं है। हजारों डाक घर बंद होने से आम लोगों के लिए यह सब दूभर हो जायेगा।
सवाल यह उठता है कि क्या सरकार का हर काम मुनाफे को ध्यान में रखकर किया जाना जायज़ है? नहीं, यह नाजायज़ है! स्वास्थ्य, शिक्षा, पानी, बिजली, राशन आदि सेवाओं के साथ-साथ डाक सेवा देना भी सरकार की बुनियादी जिम्मेदारी है। “उनसे मुनाफा नहीं मिलता इसलिए उन्हें महंगा करना या बंद करना होगा“ यह तर्क पूरी तरह नाजायज़ है।
इसीलिए डाक कर्मचारियों का संघर्ष केवल उनकी नौकरी का संघर्ष नहीं बल्कि सभी आम जनता के बुनियादी हक का संघर्ष है। मजदूर एकता लहर उनका पूरा समर्थन करती है और सभी नगरिकों से आह्वान करती है कि वे डाक कर्मचारियों का समर्थन करें।