रेल अधिकारियों को आवश्यक निवारक उपाय लेकर ट्रैक मेन्टेनरों की रक्षा करनी चाहिए!
ऑल इंडिया गार्ड्स काउंसिल (ए.आई.जी.सी.) ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (ए.आई.एल.आर.एस.ए.) ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर्स एसोसिएशन (ए.आई.एस.एम.ए.) ऑल इंडिया ट्रेफिक कंट्रोलर्स एसोसिएशन (ए.आई.टी.सी.ए.) ऑल इंडिया रेल ट्रैक मेंटेनर्स यूनियन (ए.आई.आर.टी.यू.) ऑल इंडिया रेलवे एंप्लाइज कन्फेडरेशन (ए.आई.आर.ई.सी.)-वेस्टर्न रेलवे, सेंट्रल रेलवे ट्रैक मेंटेनर्स यूनियन (सी.आर.टी.यू.) इंडियन रेलवे सिग्नल एंड टेलीकॉम मेंटेनर्स एसोसिएशन (आई.आर.एस. एंड ई.एम.ए.) कामगार एकता कमेटी (के.ई.सी.) के द्वारा जारी बयान।
3 जून, 2020
देश में लॉकडाऊन के शुरुआत से ही देशभर में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए रेल मज़दूर करोना के संक्रमण का ख़तरा उठाते हुए बहुत श्रम करते रहे हैं। यात्री गाड़ियों के निलंबन का लाभ उठाकर रेल अधिकारियों ने देशभर में पटरियों की देखभाल और मरम्मत के कार्य को और तेज़ कर दिया है। इस कारण और अनेक ट्रैक मेन्टेनरों के ड्यूटी पर न आ पाने का कारण जो ट्रैक मेन्टेनर ड्यूटी पर आ पा रहे हैं उन पर काम का बोझ सामान्य समय की तुलना में बहुत बढ़ गया है ।
ट्रैक मेन्टेनर जो भारतीय रेल के कर्मचारियों के बहुसंख्यक अंश हैं उनमें से अनेक करोना के शिकार हो रहे हैं। इस तरह की रिपोर्ट पुणे के अलावा अहमदाबाद, जोधपुर और रोहतक से आई हैं।
उनके कार्य के स्वरुप के कारण ट्रैक मेन्टेनरों को एक दूसरे से दूरी रखना सम्भव नहीं है। उन्हें शारीरिक श्रम वाले रेल पटरी उठाने और अन्य मरम्मत कार्यों के लिए एक दूसरे के बहुत नजदीक रह कर कार्य करना पड़ता है। इसके अलावा मुंबई, पुणे, अहमदाबाद और अन्य बड़े शहरों में उनमें से अनेक अपने कार्यस्थल के नजदीक नहीं रहते हैं। उनकी निर्वाह परिस्थितियाँ ख़राब होने के कारण जिन इलाकों में वे रहते हैं वहाँ उनके संक्रमित होने की संभावनाएं हैं और फिर वे आसानी से रोग का दूसरों के बीच प्रसार का कारण बन सकते हैं। इन सब की वजह से उनके बीमारी से संक्रमित होने का ख़तरा ज्यादा है और यह स्थिति उनके और उनके परिवार के लिए अत्यंत चिंताजनक है।
इसके बावजूद अनेक स्थानों पर अधिकारी पर्याप्त मात्रा में उनको सेनिटाईजर और सेफ्टी मास्क नहीं दे रहे हैं। कुछ स्थानों पर लॉकडाऊन के शुरू होने के समय 10 से 12 ट्रैक मेन्टेनरों के एक गैंग को 100 मिलीलीटर सेनिटाईजर और 2 सेफ्टी मास्क दिए गए थे। लॉकडाऊन के 60 दिन बाद भी इस सेफ्टी मास्क को नहीं बदला गया है! 45 दिन के बाद पूरे गैंग के लिए और 300 मिलीलीटर सेनिटाईजर दिया गया। यह मात्रा उनकी आवश्यक सुरक्षा के लिए बहुत ही कम है। स्वयं सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार 50 वर्ष से अधिक उम्र के मज़दूरों को काम पर नहीं बुलाना चाहिए, खास तौर से जब जड़ शारीरिक श्रम करना है। इसके बावजूद अनेक स्थानों पर 50 वर्षों से अधिक उम्र के मज़दूरों को भी बुलाया जा रहा है ।
यदि ट्रैक मेन्टेनर करोना के शिकार होते हैं तो रेलवे अस्पतालों में उनको प्रवेश मिलने में बहुत मुश्किल होती है और वे निजी अस्पतालों में प्रवेश लेने पर और इलाज के लिए अत्याधिक खर्च करने पर मजबूर हो जाते हैं। उदाहरणार्थ, अहमदाबाद में एक ट्रैक मेन्टेनर को इलाज के लिए 3.5 लाख रूपये खर्च करने पड़े। यदि एक ट्रैक मेन्टेनर संक्रमित पाया जाता है तो, ना तो उसके गैंग के अन्य सदस्यों की करोना के लिए जाँच की जाती है और न ही अनिवार्य 14 दिवस का संगरोध किया जाता है। सभी राष्ट्रीय सुरक्षा निर्देशों का उल्लंघन करते हुए उन्हें काम पर बुलाया जाता है। यह ट्रैक मेन्टेनरों और उनके परिवार पर और अधिक तनाव उत्पन्न करता है ।
अनेक डिविजनों में लाल ज़ोन में होने के बावजूद ट्रैक मेन्टेनरों को काम पर आने पर मजबूर किया जा रहा है। जो ट्रैक मेन्टेनर काम पर नहीं आ पाते हैं उन्हें दंड दिया जाता है और उनका वेतन काटा जाता है। जो राज्य सरकार के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए (उदहारण के लिए, महाराष्ट्र राज्य ने मज़दूरों को एक दिन छोड़कर दूसरे दिन काम पर आने का सुझाव दिया है) निरंतर काम पर नहीं आते हैं उन्हें अनुपस्थित दिनों के लिए दंड दिया जाता है। मुंबई जैसे बड़े शहरों में ट्रैक मेन्टेनरों के निवास स्थल काम की जगह से बहुत दूर होने के कारण उनकी यात्रा और भी कठिन हो जाती है। इसके बावजूद उनके सुपरवाइजर मनमानी से उनक वेतन काट देते हैं। इस वजह से कुछ को कार्य-स्थल के समीप या टूल रूम में जहाँ उनके औजार रखे जाते हैं अस्थायी निवास लेने पर मजबूर कर दिया है लेकिन ये स्थान रहने के लिए उचित नहीं हैं। उनके खाने के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। इस कठिन समय में जहाँ स्वस्थ खाने और अपनी प्रतिरक्षा मजबूत करने सलाह दी जा रही है इन ट्रैक मेन्टेनरों को जो बहुत कठिन शारीरिक परिश्रम करते हैं उन्हें घर से दूर रहने के कारण जो भी खाना मिलता है उस पर गुजारा करना पड़ता है। इस कारण और उनके निवास की जगहों के गंदे होने के वजह से उनके मलेरिया जैसी अन्य रोगों के शिकार होने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं ।
सम्पूर्ण रेलवे को चालू रखने वाली श्रृंखला का ट्रैक मेन्टेनर एक अत्यंत महत्वपूर्ण कड़ी हैं। पदक्रम में उन्हें सबसे निम्न स्तर पर माना जाता है, अकसर उन्हें उपेक्षित किया जाता है और उनकी कार्य परिस्थितियाँ ख़तरनाक होती हैं। यह नहीं होने दिया जा सकता है!
ट्रैक मेन्टेनरों की सुरक्षा के लिए हम निम्नलिखित मांगों को तुरंत लागू करने की माँग करते हैं :
क) संक्रमित ट्रैक मेन्टेनरों को शीघ्र ही नजदीकी रेलवे या सरकारी अस्पताल में प्रवेश और सही इलाज दिलाना प्रबंधन की ज़िम्मेदारी होने चाहिए। उनके प्रवेश में देरी होने के कारण होने वाले मानसिक तनाव और परेशानी की तरफ़ तुरंत ध्यान दिया जाना चाहिए ।
ख) जब एक ट्रैक मेन्टेनर संक्रमित पाया जाता है गैंग के सभी सदस्यों की तुरंत जाँच होनी चाहिए और उन्हें निर्धारित 14 दिवस के लिए संगरोध किया जाना चाहिए । (यह भारतीय सरकार के गृह मंत्रालय दिशानिर्देशों के अनुसार है।)
ग) ट्रैक मेन्टेनरों का ड्यूटी रोस्टर इस आधार पर बनाया जाना चाहिए जिससे उन्हें अधिकतम सुरक्षा मिले। इसके लिए हो सकता है उन्हें एक दिन छोड़कर दूसरे दिन ही ड्यूटी हो या कुछ दिन निरंतर ड्यूटी देकर उतने ही दिन का अवकाश हो।
घ) जो ट्रैक मेन्टेनर कन्टेनमेंट ज़ोन के समीप रह रहे हैं वे विशेषतः असुरक्षित हैं और अधिकारियों को उन ट्रैक मेन्टेनरों का विशेष ख्याल रखना चाहिए, उनके स्वास्थ्य और सकुशलता पर निगरानी रखनी चाहिए जिससे वे और उनके गैंग के अन्य सदस्य सुरक्षित रहें ।
च) उपलिखित क) से घ) में से किसी भी कारणवश उनके वेतन में कोई कटौती नहीं होनी चाहिए ।
जैसे-जैसे करोना देशभर में फ़ैल रहा है, देशभर से विभिन्न विभागों के रेल मजदूरों के संक्रमित होने के समाचार आ रहे हैं। उदाहरणार्थ, दक्षिण रेलवे के Sr. D. En. / W, Sr. DOM, Sr. DEE (op), DEE (op), CTLC संक्रमित पाए गए हैं। CLI और अन्य कंट्रोलरों को संगरोध कर दिया गया है। सम्बंधित अधिकारियों ने विशेषतः क्रू लौबियों, शेडों और अन्य कार्य स्थलों पर पालन किये जा रहे प्रोटोकलों के पुनरावलोकन और लोको केबिनों के स्वछीकरण के आदेश दिए हैं।
हम माँग करते हैं कि रेल अधिकारी न केवल पुनरावलोकन करें और बिना देर किये तुरंत कीटाणुशोधन करें लेकिन शीघ्र ही रेल मज़दूरों की सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएं ।
संपर्क: 9320001908, 9569119921, 9960711666.