पिछले 6 हफ्तों से अमरीका, फ्रांस और ब्रिटेन के युद्ध विमान लिबिया के लोगों पर मौत और तबाही बरसा रहे हैं। उन्होंने यह बहाना देकर लिबिया में हस्तक्षेप शुरु किया था, कि वहां की सरकार विद्रोही लोगों पर ”वहशी दमन“ छेड़ रही है और साम्राज्यवादी ताकतें मानवीय आधार पर ”खून-खराबा रोकना चाहती हैं“।
पिछले 6 हफ्तों से अमरीका, फ्रांस और ब्रिटेन के युद्ध विमान लिबिया के लोगों पर मौत और तबाही बरसा रहे हैं। उन्होंने यह बहाना देकर लिबिया में हस्तक्षेप शुरु किया था, कि वहां की सरकार विद्रोही लोगों पर ”वहशी दमन“ छेड़ रही है और साम्राज्यवादी ताकतें मानवीय आधार पर ”खून-खराबा रोकना चाहती हैं“।
बीते कुछ हफ्तों में साम्राज्यवादियों ने बड़ी बेरहमी से लिबिया पर बम बरसाये हैं, जिसकी वजह से सैकड़ों नागरिक और बड़ी संख्या में बच्चे मारे गये हैं। इनमें उस देश के राष्ट्रपति के पोते-पोती भी शिकार बने हैं। सच तो यह है कि साम्राज्यवादियों ने लिबिया में खून-खराबा छेड़ा है। इन ताकतों ने लिबिया में विद्रोहियों की मदद के लिये सैनिक सलाहकारों और ”विशेष सेनाओं“ को भी भेजा है।
अब दुनिया के लोगों को यह साफ समझ आ रहा है कि साम्राज्यवादी लिबिया के तेल और अनमोल कुदरती संसाधनों पर नियंत्रण करने के लिये गद्दाफी को हटाने तथा साम्राज्यवादियों का आदेश पालन करने वाली सरकार बिठाने के इच्छुक हैं। बीते हफ्तों में अमरीका और नाटो के उसके सहयोगी लिबिया के तेल संस्थानों पर आपस में होड़ लगा रहे हैं। लिबिया में हस्तक्षेप करने वाली ये तीन साम्राज्यवादी ताकतें और उनकी बड़ी-बड़ी ऊर्जा कंपनियां लिबिया के विशाल तेल संसाधनों पर कब्ज़ा करने की कोशिश कर रही हैं। ”मानवीय हस्तक्षेप“ के पर्दे के पीछे पश्चिमी साम्राज्यवादी ताकतें और उत्तरी अफ्रीका की भूतपूर्व उपनिवेशवादी ताकतें उस इलाके पर फिर से अपना नियंत्रण जमाने के लिये लिबिया पर जंग छेड़ रही है।
मजदूर एकता लहर बिना किसी शर्त के, लिबिया पर अमरीका-नाटो हमले की निंदा करती है। लिबिया के लोगों को साम्राज्यवादी हुक्मशाही से मुक्त, अपनी आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था तय करने का पूरा अधिकार है। लिबिया पर हवाई हमलों को फौरन रोक देना चाहिये और विशेष सेनाओं तथा सलाहकारों समेत सभी सेनाओं को फौरन वापस लेना चाहिये। लिबिया पर साम्राज्यवादी हमले को फौरन रोकना होगा!