प्रिय संपादक
हाल में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के बारे में आपके विश्लेषण को मैंने बहुत रुचि के साथ पढ़ा। मैं समझता हूं कि मतदान कुछ हद तक लोगों के गुस्से को दिखाता है। पर साथ ही, यह भी सच है कि शासक पूंजीपति वर्ग अपनी पसंदीदा सरकार को स्थापित करने के लिये चुनावों का इस्तेमाल करता है।
यह वास्तव में सच है कि किसानों की समस्या या बढ़ती बेकारी की समस्या का न तो भाजपा के पास कोई हल है और न ही कांग्रेस पार्टी के पास। ये दोनों पार्टियां सिर्फ इजारेदार पूंजीवादी घरानों के लिये, मेहनतकशों के शोषण को बेदर्दी से बढ़ाने और प्राकृतिक संसाधनों के दोहन को तेजी से बढ़ा कर, उन्हें जल्दी से जल्दी मालामाल करने के एजेंडे को लागू करने के लिये वचनबद्ध हैं।
ऐसे वक्त जब सभी टी.वी. वाद–विवाद से यह धारणा पैदा करना चाहते हैं कि चुनावी मैदान में सिर्फ दो ही संभावनाएं हैं – एक नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में और दूसरी राहुल गांधी के नेतृत्व में, हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी ने बहादुरी से क्रांतिकारी विकल्प पेश किया है। यह विकल्प मज़दूरों और किसानों की सत्ता स्थापित करना है और अर्थव्यवस्था को पूंजीपतियों की लालच को पूरा करने की दिशा से बदलकर सबकी ज़रूरतों को पूरा करने की दिशा में लाना है।
बहुत ही अहम मुद्दा जो उठाया गया है वह है कि ”जिन मांगों को लेकर मज़दूरों और किसानों के सर्व–हिन्द विरोध प्रदर्शन हुए हैं वे अर्थव्यवस्था को नयी दिशा देने के मानव केंद्रित कार्यक्रम को विकसित करने के लिये अतिउत्तम शुरुआत होंगी“। इसका मतलब है कि क्रांतिकारी विकल्प ऐसी चीज नहीं है जिसे कुछेक बुद्धिजीवियों को ही खोजनी हो। यह पहले से ही वर्ग संघर्ष से उभर चुकी है। इसकी रक्षा करने की ज़रूरत है तथा इसको और विकसित करने की ज़रूरत है।
यह सत्य कि लोगों के अधिकारों के लिये लड़ने वाले उम्मीदवार कुछ मतदान क्षेत्रों से विभिन्न कम्युनिस्ट पार्टियों के समर्थन से जीत सके बहुत उत्साहजनक ख़बर है। यह प्रेरणा का स्रोत है और यह हमें विश्वास दिलाता है कि हमें इसे ज्यादा से ज्यादा स्थानों पर दोहराना होगा।
इसका जो निष्कर्ष निकाला गया है वह बहुत ही दमदार है। निश्चित ही, आगे बढ़ने का रास्ता है ”कम्युनिस्टों को एकजुट होकर मज़दूरों, किसानों और प्रगतिशील बुद्धिजीवियों को लोगों को सत्ता में लाने और अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने के कार्यक्रम के इर्द–गिर्द व्यापक एकता बनाना ताकि लोगों की ज़रूरतों को, न कि पूंजीपतियों की लालच को पूरा किया जा सके“।
इस महत्वपूर्ण काम में सफलता की कामना के साथ,
भवदीय,
तारा चंद, फरीदाबाद