1 जनवरी, 2009 को क्यूबा के लोगों ने बातिस्ता की तानाशाही हुकूमत पर अपनी जीत और आत्म निर्धारण के ऐलान और अमरीकी राज्य के खिलाफ़ बहादुर प्रतिरोध के 50 वर्ष होने का जश्न मनाया। इन सारे वर्षों के दौरान अमरीकी राज्य लगातार क्यूबा में क्रान्ति को नष्ट करने की जबरदस्त कोशिश करता आया है। इस हक़िक़त को कोई भी नकार नहीं सकता कि इस पूरे दौर में सभी अमरीकी सरकारों ने कभी कम तो कभी ज्यादा आक्रमक तरीके से क्यूबा में हुकूमत बदलने की कोशिश की है। अमरीका ने लगातार अंतर्राष्ट्रीय मंच पर क्यूबा को अलग करने की कोशिश की है और आक्रमण की धमकी दी है। अंतर्राष्ट्रीय कानून और राष्ट्रों की प्रभुसत्ता के सभी असूलों का अमरीका ने उल्लंघन किया है। इसका एक उदाहरण है क्यूबा की जमीन पर बने गुवांतनामो नौसैनिक अवे पर उसका गैरकानूनी कब्ज़ा, जिसे आज अमरीका ने एक भयानक कैदखाने में बदल दिया है। 20वीं शताब्दी के आरंभ में इस नौसैनिक अवे को जबरदस्ती से किराये पर लिया गया था और तमाम अमरीकी सरकारों ने इसे क्यूबा को वापस करने से इंकार किया है।
1959 में क्यूबा के इसे छोटे से द्वीप के लोगों द्वारा अपनी प्रभुसत्ता का ऐलान करना अमरीका के लिए एक जबरदस्त धक्का था। अमरीका दक्षिण और मध्य अमरीका के पूरे इलाके पर अपना कब्ज़ा जमाना चाहता है और लूट मचाना चाहता है, जिससे उसके भू-राजनीतिक हित पूरे हों। 50 वर्ष पहले क्यूबा के लोगों द्वारा आत्म निर्धारण के ऐलान का महत्व समझने के लिए यह समझना जरूरी होगा कि क्रान्ति से पहले किस हद तक अमरीकी सरमायदार और उनका राज्य क्यूबा के संसाधनों पर कब्ज़ा जमाया था। जनवरी 1959 तक क्यूबा की करीब सभी आर्थिक गतिविधियों और खनिज़ संसाधनों का नियंत्रण अमरीकी पूंजीपतियों के हाथों में था। अमरीकी पूंजी क्यूबा की 120 लाख हेक्टेयर जमीन, (जो कि क्यूबा की उत्पादक जमीन का एक चौथाई हिस्सा है), करीब सारा चीनी उद्योग, निक्कल उत्पादन, तेल उत्पादन, बिजली और टेलिफोन सेवा और मुख्य बैंकों पर नियंत्रण करती थी। साथ ही क्यूबा का 70प्रतिशत से अधिक आयात-निर्यात व्यापार अमरीकी बाजार के नियंत्रण में था।
समाज में गहरा धु्रवीकरण था और असमान आमदनी थी। बेरोजगारी और निरक्षरता बहुत ज्यादा थी, स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत खस्ता थी, गांवों और शहरों के लोगों के जीवन के स्तर में बहुत ज्यादा अंतर था।
क्रांति के तुरंत बाद क्यूबा ने अपने सभी संसाधनों पर अपना हक़ जताने का कदम उठाया और लोगों के कल्याण की जिम्मेदारी उठाई, शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग में पैसा लगाया, और समुद्री तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं से लोगों को सुरक्षा दिलाने के लिए लगातार कदम उठाये। ऐसी प्राकृतिक आपदा इस छोटे से द्वीप पर अक्सर आती रहती है। इस मामले में क्यूबा ने सारी दुनिया को यह दिखा दिया है कि यदि लोग संगठित रूप से किसी कार्य में हिस्सा लेते हैं और राज्य लोगों के हितों को केन्द्र में रखते हुए, उन्हें अगुवाई देता है तो तमाम कठिनाइयों के बावजूद कितना कुछ हासिल किया जा सकता है। लेकिन क्यूबा की सरकार और राज्य द्वारा लोगों के आर्थिक स्तर के ऊपर उठाने की तमाम कोशिश अमरीका द्वारा व्यापार पर लगाए गये प्रतिबंधों की वजह से पूरी तरह कामयाब नहीं हो पायी है। पिछले 50 वर्षों से अमरीका ने क्यूबा पर आर्थिक प्रतिबंध लगाये हैं, जिसमें खाने की चीजें, दवाईयां, व्यापार, बैंक और पर्यटन भी शामिल हैं।
क्यूबा की क्रान्तिकारी राज्य ने एक ऐसी राजनीतिक व्यवस्था को कायम करने का प्रयास किया है जिसके तहत देश के मुख्य कानूनों को बनाने में लोगों के बीच आम चर्चा और विश्लेषण द्वारा लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए अपने आत्म निर्धारण के अधिकार पर अमल किया जा सकता है। आत्म निर्धारण के इस अधिकार को क्यूबा के लोग विदेशी ताकतों द्वारा देश पर आक्रमण से हिफ़ाज़त के लिए भी इस्तेमाल करते हैं। आज क्यूबा में 40 लाख से भी अधिक नागरिक – मजदूर, किसान और विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र – अपने कैंपस, फैक्ट्रियों और देहातों में सशस्त्र समूहों में संगठित हुए हैं। इंसानियत की सेवा में क्यूबा के लोगों की प्रतिबध्दता इस बात में झलकती कि क्यूबा के सैकड़ों-हजारों डाक्टर और शिक्षक बीमारी और निरक्षरता से लड़ने के लिए दुनियाभर में काम कर रहे हैं।
अमरीकी राज्य द्वारा दूसरे देशों और लोगों पर कब्ज़ा जमाने की कोशिश के खिलाफ़ क्यूबा के लोगों का प्रतिरोध हम सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है। क्यूबा के लोगों ने खुद अपना भविष्य बनाने, खुद अपनी राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था बनाने का फैसला लिया है और अपने पड़ोस में बैठे वहशी दुश्मन की तमाम कोशिशों के बावजूद अपने फैसले पर अडिग हैं। अपने इस बहादुर प्रतिरोध व तमाम लातिनी अमरीकी लोगों और दुनियाभर के साम्राज्यवाद विरोधी ताकतों के लिए यह एक बढ़िया उदाहरण है।
मजदूर एकता लहर क्यूबा के बहादुर लोगों को सलाम करती है और साम्राज्यवाद के खिलाफ़ व राष्ट्रीय प्रभुसत्ता और मानव गरिमा के लिए अपने संघर्ष को आगे बढ़ाने का प्रण लेती है।