लंबित मांगों को पूरा करवाने के लिए आशा मज़दूरों का संघर्ष

मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट

11 फरवरी, 2025 को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आशा मज़दूरों ने आशा वर्कर्स यूनियन की अगुवाई में अपनी मांगों को लेकर ज़ोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में सैकड़ों की संख्या में आशा मज़दूर और सहायिकाएं शामिल हुईं।

Asha_New-niचारबाग रेलवे स्टेशन पर सुबह से ही सैकड़ों की संख्या में आशा मज़दूर और सहायिकाएं एकत्र हो गईं। मज़दूरों ने विधानसभा की ओर जुलूस निकालना शुरू किया। जैसे ही मज़दूर विधानसभा की ओर बढ़ीं, पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए बैरिकेड लगा दिये। प्रशासन ने पहले से ही भारी पुलिस बल तैनात कर रखा था।

आशा मज़दूर स्वास्थ्य सेवाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे बहुत ही कम मानदेय पर काम कर रही हैं। वे लंबे समय से सरकारी कर्मचारी का दर्ज़ा, जीवन जीने लायक वेतन और सामाजिक सुरक्षा की मांग को लेकर संघर्ष कर रही हैं।

प्रदर्शन में शामिल आशा मज़दूरों ने बताया कि जब हम अपना अधिकार मांगते हैं, तो सरकार अनसुना कर देती है।

उनकी प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं :

  • सभी आशा और सहायिका मज़दूर को सरकारी कर्मचारी का दर्ज़ा दिया जाए।
  • आशा मज़दूरों को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ सुनिश्चित किया जाए। गोल्डन आयुष्मान कार्ड, वेलनेस सेंटर में योगदान, टीबी और कुष्ठ रोग निरोधन अभियान, पोलियो अभियान में किए गए कार्यों की बकाया राशि का भुगतान किया जाए।
  • कोविड-19 के समय किए गए कार्यों का भत्ता अभी तक नहीं दिया गया, उसका जल्द भुगतान हो।
  • प्रत्येक आशा वर्कर को 1,500 रुपये मासिक बकाया राशि मिलनी थी, लेकिन पिछले एक साल से इसका भुगतान बंद कर दिया गया है।

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