मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट
26 नवम्बर, 2024 को देशभर में मज़दूरों-किसानों ने अपनी मांगों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा व संयुक्त केन्द्रीय ट्रेड यूनियन मंच की अगुवाई में जुलूस, विरोध प्रदर्शन और धरने व रैलियां आयोजित कीं। 2020 में हुये किसानों के ऐतिहासिक संसद मार्च और मज़दूरों की आम हड़ताल की चैथी वर्षगांठ के अवसर पर, यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था।
इस अवसर पर सरकार की मज़दूर-विरोधी, किसान-विरोधी, जन-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ देशभर के ग्रामीण, शहरी व औद्योगिक क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए गए। कर्मचारियों ने कार्यक्रम के समर्थन में दोपहर के समय पर अपने-अपने कार्यस्थलों पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किये। कई जगहों पर छात्रों, युवाओं, महिलाओं, शिक्षकों व कला, संस्कृति तथा साहित्य के क्षेत्र से जुड़े जन संगठनों और पेशेवरों ने भी अपनी-अपनी मांगों के साथ, ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों की मांगों के साथ एकजुटता दिखाई। कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं। कई लोगों की गिरफ़्तारी भी हुई है।
देशभर में होने वाले इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए, पूरे देश में 7-25 नवम्बर के बीच, किसानों और मज़दूरों के संगठनों ने पूरे देश में अभियान चलाया। अभियान के दौरान जुलूसों, नुक्कड़ सभाओं का आयोजन किया गया और पर्चे बांटे गये।
देश की राजधानी दिल्ली में सिविल लाइंस स्थित उपराज्यपाल के कार्यालय के सामने सैकड़ों मज़दूरों और किसानों ने सुबह 10 बजे से शाम 3 बजे तक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया। इसमें महिला मज़दूरों की उपस्थिति अच्छी-खासी थी। मज़दूरों ने अपने हाथों में प्लाकार्ड पकड़े हुए थे, जिन पर लिखा था – ‘सभी कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी दो!’, ‘पूंजीवाद-साम्राज्यवाद मुर्दाबाद!’, ‘निजीकरण और उदारीकरण मुर्दाबाद!’, ‘मज़दूरों और किसानों की दौलत लूटकर पूंजीपति घरानों की तिजौरियां भरना बंद करो!’, ‘बैंक, रेल, बीमा, स्वास्थ्य, शिक्षा को बेचना बंद करो!’ आदि।
इस प्रदर्शन को सीटू, एटक, ए.आई.सी.सी.टी.यू., एच.एम.एस., मज़दूर एकता कमेटी, सेवा, ए.आई.यू.टी.यू.सी., यू.टी.यू.सी., टी.यू.सी.सी., आई.सी.टी.यू., अखिल भारतीय किसान महासभा, ए.आई.के.के.एम.एस., आॅल इंडिया किसान सभा, ए.आई.के.एम., भारतीय खेत मज़दूर फेडरेशन, बीकेयू (टिकैत), ए.आई.डी.डब्ल्यू.ए., आदि के प्रतिनिधियों ने संबोधित किया।
विरोध प्रदर्शन को संबोधित करते हुए, वक्ताओं ने केन्द्र सरकार की नीतियों की कड़ी निंदा की। वक्ताओं ने कहा कि हमारे देश में पूंजीपति वर्ग की हुकूमत है। पूंजीपति वर्ग लोगों को दबाने के लिये राज्य तंत्र का इस्तेमाल करता है। सत्ताधारी पार्टी जब लोगों की नज़रों में बदनाम हो जाती है तब वह दूसरी पार्टी को सत्ता में ले आता है। ताकि लोगों का पूंजीवादी व्यवस्था पर विश्वास बना रहे। उन्होंने कहा कि हमें अपनी मांगों के संघर्ष को पूंजीवादी व्यवस्था को ख़त्म करने और मज़दूरों किसानों की सत्ता स्थापित करने की दिशा में चलाना होगा।
कार्यक्रम में शामिल मज़दूरों ने विरोध प्रदर्शन में अपने गीतों से जोश भरा। प्रदर्शन के बाद उपराज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा गया।
राज्यपाल को सौंपे गये ज्ञापन में मांग की गई कि – एमएसपी की गारंटी के लिए क़ानून बनाओ; चार लेबर कोड को रद्द करो; निजीकरण पर रोक लगाओ; समान काम का समान वेतन लागू करो; न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये लागू किया जाए; 10,000 रुपए मासिक पेंशन लागू की जाएं; सभी को रोज़गार की गारंटी दो; कार्यस्थल पर सुरक्षा सुनिश्चित करो; किसानों की आत्महत्या को रोकने के लिए एक सर्व-समावेशी ऋण माफ़ी योजना लागू की जाए; आंगनवाड़ी, आशा, मिड-डे मील और अन्य को कर्मचारी घोषित करके वैधानिक मज़दूरी व सामाजिक सुरक्षा दो; बिजली क्षेत्र का निजीकरण न हो – कोई प्रीपेड स्मार्ट मीटर न लगाया जाए, आदि।