मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट
पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली की मांग को लेकर देशभर के हजारों कर्मचारियों ने 17 नवंबर, 2024 को “पेंशन जयघोष महारैली” का आयोजन दिल्ली के जंतर-मंतर पर किया। इस रैली में पूरे देश से केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेशों और स्वायत्त विभागों के कर्मचारी शामिल हुए।
ओपीएस की मांग को लेकर देशभर के सरकारी कर्मचारी निरंतर संघर्ष जारी रखे हुए हैं। इसी संघर्ष के तहत, 26 सितंबर, 2024 को देश के सभी जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किये गए। अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (ए.आई.डी.ई.एफ.) के सदस्यों ने दो अक्तूबर को प्रतिज्ञा ली थी कि जब तक वे पुरानी पेंशन योजना हासिल नहीं कर लेते, तब तक चैन से नहीं बैठेंगे।
देशभर के 91 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी, पुरानी पेंशन की बहाली के लिए ’ऑल इंडिया एनपीएस एम्पलाइज फेडरेशन’ (ए.आई.एन.पी.एस.ई.एफ.) के बैनर तले एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन चला रहे हैं। इस आंदोलन का नाम है -“नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत”। हाल में केंद्र सरकार द्वारा एनपीएस में सुधार करके लाई गई “यूनिफाइड पेंशन स्कीम” (यूपीएस) से सरकारी कर्मचारी संतुष्ट नहीं हैं। रेलवे के विभिन्न कर्मचारी संगठन भी यूपीएस के विरोध में खड़े होकर अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं।
फेडरेशन ने केंद्र सरकार से मांग की है कि पेंशन की गणना 25 वर्ष के स्थान पर 20 वर्ष की जाए और कर्मचारी के अंशदान पर जीपीएफ की मान्यता रहे, ताकि सेवा निवृत्ति के समय अंशदान कर्मी को पूरा वापस मिल जाए। कर्मचारियों का कहना है कि हमें एनपीएस में सुधार या कोई नई पेंशन योजना मंजूर नहीं है।
ए.आई.डी.ई.एफ. के महासचिव सी. श्रीकुमार का कहना है कि कर्मचारियों ने यूपीएस के खि़लाफ़ अपने आंदोलन को दोबारा से प्रारंभ करने का निर्णय लिया है। अंशदायी पेंशन योजना, “यूपीएस” का पुरज़ोर विरोध किया जाएगा। केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी पिछले 20 वर्षों से नई पेंशन योजना के खि़लाफ़ लड़ रहे हैं। सरकारी कर्मचारियों के पास अब यही विकल्प बचा है कि वे यूपीएस में शामिल हों या एनपीएस में बने रहें।
नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत के अध्यक्ष मंजीत सिंह पटेल ने बताया कि 20 वर्ष की नौकरी के बाद 50 प्रतिशत पेंशन का आधार सुनिश्चित बनाया जाए। कर्मचारी अंशदान की ब्याज सहित यानी जीपीएफ की तरह वापसी हो। वीआरएस; अनिवार्य सेवानिवृत्ति; सेवानिवृत्ति पर संपूर्ण राशि की वापसी सुनिश्चित की जाए।
यह याद रखा जाना चाहिये कि पेंशन सामाजिक सुरक्षा का ही एक रूप है जो एक कर्मचारी को एक निश्चित उम्र में या विकलांगता या अन्य परिस्थितियों के कारण काम से सेवानिवृत्त होने के बाद मिलती है। यह एक सर्वव्यापी अधिकार होना चाहिए और सभी मेहनतकश लोगों पर लागू होना चाहिए। हर कर्मचारी के लिए, उन हालातों में, जब वह काम करने में सक्षम न हो, पेंशन से एक सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित होना चाहिए और यह राशि, बढ़ती हुई जीवन-यापन लागत के लिए लगातार बढ़ाई जानी चाहिए।
हमारे देश के अधिकांश मेहनतकश लोग सेवानिवृत्ति के बाद किसी भी पेंशन या सामाजिक सुरक्षा के हक़दार नहीं हैं। नौकरी के दौरान उन्होंने अपनी मेहनत से समाज के लिए योगदान दिया है। वे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के माध्यम से राज्य के खजाने में योगदान करते हैं। यह सुनिश्चित करना समाज का कर्तव्य है कि बुढ़ापे में या जब वे घायल हो जाते हैं और काम करने में असमर्थ होते हैं, तो उनकी देखभाल की जाए। सभी सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए सर्वव्यापी पेंशन की मांग मज़दूर वर्ग की एक जायज़ मांग है।