इस्लामिक सहयोग संगठन और अरब लीग का एक असाधारण संयुक्त शिखर सम्मेलन, 11 नवंबर को सऊदी अरब के रियाद में संपन्न हुआ। इसका उद्देश्य था फ़िलिस्तीन के लोगों पर हो रहे साम्राज्यवाद-समर्थित इज़रायली जनसंहार को समाप्त करना। इस असाधारण शिखर सम्मेलन में, सऊदी अरब, ईरान, मिस्र, तुर्किये, इंडोनेशिया, सीरिया, अल्जीरिया, जॉर्डन, इराक, लेबनान, कुवैत, मोरक्को और पाकिस्तान सहित 50 से अधिक राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
इस शिखर सम्मेलन में, सभी सहभागियों ने ”संयुक्त राष्ट्र महासभा और इससे संबद्ध सभी संस्थाओं में इज़रायल की भागीदारी को निलंबित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समर्थन जुटाने“ और ”सभी देशों से इज़रायल को हथियारों और गोला-बारूद के निर्यात या हस्तांतरण पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान करने“ का संकल्प लिया।
शिखर सम्मेलन ने गाज़ा पट्टी पर इज़रायली हमले और फ़िलिस्तीनी लोगों के ख़िलाफ़ उपनिवेशवादी क़ब्ज़ाकारी सरकार द्वारा किए जा रहे बर्बर, अमानवीय और क्रूर जनसंहार की निंदा की। इस सम्मलेन ने इज़रायल द्वारा इस आक्रमण को तुरंत समाप्त करने की मांग की। इस सम्मलेन ने “आत्मरक्षा” या किसी भी बहाने से किये जा रहे इस जनसंहारक युद्ध को उचित ठहराने की कोशिश को पूरी तरह से अस्वीकार कर दिया।
शिखर सम्मेलन ने अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से गाज़ा की घेराबंदी को तोड़ने और गाज़ा पट्टी में भोजन, दवा और ईंधन सहित मानवीय सहायता के तत्काल प्रवेश को बहाल करने का आह्वान किया। इस सम्मलेन ने “गाज़ा पर क्रूर इज़रायली आक्रमण के परिणामों का सामना करने के लिए मिश्र अरब गणराज्य द्वारा उठाए गए सभी क़दमों का समर्थन करने का संकल्प लिया। हम तत्काल, टिकाऊ और पर्याप्त तरीके़ से पट्टी में सहायता पहुंचाने के मिश्र के प्रयासों का समर्थन करते हैं।”
असाधारण शिखर सम्मेलन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से “एक निर्णायक और बाध्यकारी फ़ैसला लेने का आह्वान किया जो हो रहे इस हमले को तुरंत रोके और अंतर्राष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन करने वाले उपनिवेशवादी क़ब्ज़ाकारी प्राधिकरण पर अंकुश लगाये”। सम्मलेन में यह फ़ैसला लिया गया कि इस मामले में “निष्क्रियता को वह एक मिलीभगत मानता है जो इज़रायल को अपने क्रूर हमले को जारी रखने की अनुमति देता है, जो निर्दोष लोगों, बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं का क़त्लेआम कर रहा है और गाज़ा को नेस्तोनाबूद कर रहा है।”
शिखर सम्मेलन ने अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के अभियोक्ता से, इज़रायल द्वारा फ़िलिस्तीनी लोगों के ख़िलाफ़ किए जा रहे युद्ध अपराधों और मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों की जांच पूरी करने का आह्वान किया।
शिखर सम्मेलन ने पश्चिमी तट, गाज़ा पट्टी और पूर्वी यरुशलम सहित फ़िलिस्तीन के एक संप्रभु राज्य को स्थापित करने की मांग को एक बार फिर दोहराया। शिखर सम्मेलन के बाद, यह बताया गया है कि इंडोनेशिया और मलेशिया, संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रस्ताव पेश करने की योजना बना रहे हैं, जिसमें इज़रायल को उसके जनसंहारक युद्ध अपराधों के लिए संयुक्त राष्ट्र से निष्कासित करने का आह्वान किया जाएगा।
अरब और इस्लामी देश एक होकर फ़िलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय और संप्रभुता के अधिकार का समर्थन करते आये हैं, जिसमें एक संप्रभु फ़िलिस्तीनी राज्य की स्थापना का उनका अधिकार भी शामिल है। अमरीकी साम्राज्यवाद सुनियोजित तरीके़ से इस एकता को तोड़ने की एक कोशिश करता आया है। साल 2020 में, अमरीका ने अब्राहम समझौते के बैनर तले, इज़रायल और अरब लीग के कुछ सदस्यों, जिनमें संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन और मोरक्को शामिल हैं, उनके बीच द्विपक्षीय समझौतों की मध्यस्थता की थी। ये इज़रायल के पक्ष में थे, क्योंकि इन समझौतों में फ़िलिस्तीनी लोगों के अधिकारों की पुष्टि सुनिश्चित नहीं की गयी थी।
यह हक़ीक़त कि सभी अरब देशों और इस्लामिक सहयोग संगठन के सभी सदस्यों ने इज़रायल के जनसंहारक युद्ध का एकजुट होकर विरोध करने और फ़िलिस्तीनी लोगों के अपने संप्रभु-राज्य के अधिकार की रक्षा करने का संकल्प व्यक्त किया है, यह एक सकारात्मक क़दम है। यह दर्शाता है कि अमरीकी साम्राज्यवाद द्वारा उनकी एकता को तोड़ने और फ़िलिस्तीनी लोगों के अधिकारों की हिफ़ाज़त के लिए उनके समर्थन को कमज़ोर करने के प्रयास सफल नहीं हुए हैं।