रेल चालकों का अधिवेशन संपन्न

भारतीय रेल चालकों के संगठन आल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (ए.आई.एल.आर.एस.ए.) की दिल्ली मंडल और गाज़ियाबाद इकाई का द्विवर्षीय अधिवेशन 14 नवंबर, 2024 को गाज़ियाबाद में संपन्न हुआ। यह अधिवेशन दो सत्रों में विभाजित था। पहला सत्र का विषय संरक्षा (सेफ्टी) पर था, जबकि दूसरे सत्र में संगठन के दिल्ली मंडल की कार्यकारिणी का चुनाव हुआ।

AILRSA-Front-Stageइस अधिवेशन में दिल्ली मंडल की 12 इकाईयों से बड़ी संख्या में रेल चालकों सहित परिवार के सदस्यों ने हिस्सा लिया। इसमें महिला रेल चालकों ने भी बढ़चढ़कर भागीदार की। ए.आई.एल.आर.एस.ए. महासचिव श्री के.सी. जेम्स अधिवेशन के मुख्य अतिथि थे।

संरक्षा सत्र को संबोधित करते हुये, वक्ताओं ने कहा कि रेलवे की संपत्ति और रेल कर्मचारियों तथा सवारियों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी भारतीय रेल के प्रबंधकों की है। उन्होंने रेलवे में हो रही दुर्घटनाओं के साथ-साथ कर्मचारियों की भारी कमी को लेकर चिंता प्रकट की।

वक्ताओं ने बताया कि रेलवे में हो रही दुर्घटनाओं में बहुत से लोगों की मौत हो जाती है और अनेकों घायल हो जाते हैं। इसके साथ-साथ भारतीय रेल की करोड़ों की संपत्ति को नुकसान होता है, जो जनता के धन से बनी हैं। इन दुर्घटनों के लिये भारतीय रेल के प्रबंधक कई बार रेल चालकों या गार्डों, सिग्नलिंग विभाग या दूसरे अन्य कर्मचारियों को दोषी ठहराकर अपना पल्ला झाड़ लेते है।

वक्ताओं ने बताया कि इन दुर्घटनाओं के होने की मूल समस्याओं के प्रमुख कारण हैं – भारतीय रेल में लगभग 3,12,000 पदों का खाली होना, सिग्नलिंग सिस्टम की खामियां, पटरियों के रख-रखाव में कमी। पटरियों का रखरखाव करने वालों के काम की हालात इतनी बुरी होती हैं कि आये दिन 2-3 लोग काम करते समय मर जाते हैं! ठेके पर नियुक्त किये गये अप्रशिक्षित मज़दूरों को ऐसे कामों में लगाया जाता है, जिसके लिये नियमित मजदूरों को महीनों के प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। इसके साथ-साथ आउट सोर्सिंग के जरिये ख़रीदे गये ख़राब पुर्जे भी एक कारण हैं।

AILRSA-Front-Stageवक्ताओं ने बताया कि आधिकारिक तौर पर प्रतिदिन 9 घंटे काम करना होता है। लेकिन, बड़ी संख्या में खाली पड़े पदों के कारण, उन्हें दिन में 14-16 घंटे भी बिना आराम किये काम करना पड़ता है। रेल चालकों को लगातार रात की ड्यूटी करनी पड़ती है। अक्सर छुट्टी नहीं मिलती है और यहां तक कि पर्याप्त साप्ताहिक आराम भी नहीं दिया जाता है।

अधिवेशन में रेल चालकों की प्रमुख मांगों को उठाया गया, जिन पर आगे संघर्ष को जारी रखने का संकल्प लिया गया। इनमें शामिल हैं –  पुरानी पेंशन योजना की बहाली; अगली ड्यूटी शुरू होने से पहले मुख्यालय एवं आउट स्टेशन पर पर्याप्त विश्राम; शंटिंग सुपरवाइजर के बिना कोई भी शंटिंग कार्य को रोकना; असिस्टेंट लोको पायलट (ए.एल.पी.) को रिस्क एलाउंस; मंडल की सभी लॉबियों में मूलभूत सुविधायें, शुद्ध पानी एवं स्वच्छ टॉयलेट की सुविधा उपलब्ध हो; और महिला रनिंग स्टाफ के लिए महिला टॉयलेट उपलब्ध कराया जाए, आदि।

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