संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के आह्वान पर, 26 जनवरी, 2024 को पूरे देश में किसान यूनियनों द्वारा ट्रैक्टर रैलियां आयोजित की गईं। प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार, ऐसी रैलियां 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 484 जिलों में आयोजित की गईं।
कई जगहों पर, किसानों के साथ ट्रेड यूनियन और मज़दूर संगठन, महिलाओं, युवाओं और छात्रों के संगठन भी शामिल हुए, जिन्होंने किसानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए मार्च निकाला।
पंजाब में किसानों ने अपनी मांगों के समर्थन में संगरूर, जालंधर, मोहाली और अन्य स्थानों पर ट्रैक्टर रैलियां आयोजित कीं। पंजाब में तहसील और जिला मुख्यालय स्तर सहित, लगभग 100 जगहों पर रैलियां निकाली गईं। ऐसी रैलियां पूरे हरियाणा के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में भी आयोजित की गईं। उत्तर भारत में, ठंड के मौसम के बावजूद, हजारों ट्रैक्टरों और अन्य वाहनों में लाखों किसान परेड में शामिल हुए।
इन रैलियों के माध्यम से, किसानों ने सरकार को 9 दिसंबर, 2021 को तीन किसान विरोधी कानूनों को निरस्त करने के समय दिए गए लिखित आश्वासनों के बारे में याद दिलाया। इन आश्वासनों के आधार पर ही किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर अपना एक वर्ष लंबा आंदोलन वापस लिया था।
किसानों ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी वाला कानून बनाने की मांग की है। वे किसानों और खेत मज़दूरों के लिए पेंशन, आंदोलनकारी किसानों के ख़िलाफ़ पुलिस मामले वापस लेने और व्यापक क़र्ज़ माफी की भी मांग कर रहे हैं। किसान बिजली क्षेत्र के निजीकरण और प्री-पेड मीटर लगाने का विरोध कर रहे हैं। उनकी अन्य मांगों में लागत कम करना, सरकार द्वारा नियंत्रित सरल और सर्वव्यापी फ़सल बीमा सुनिश्चित करना, 2021 में यूपी के लखीमपुर खीरी में नरसंहार के पीड़ितों के लिए न्याय दिलाना, जिसके लिए उनकी मांग है कि मुख्य साजिशकर्ता, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी और मुकदमा, ये सभी मांगें शामिल हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, फेडरेशनों और एसोसिएशनों (सीटीयू) के संयुक्त मंच ने 16 फरवरी 2024 को सरकार की मज़दूर-विरोधी और किसान-विरोधी नीतियों के खि़लाफ़ बड़े पैमाने पर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन, औद्योगिक हड़ताल और ग्रामीण भारत बंद का आह्वान किया है।
इस बीच, एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और किसान मज़दूर संघर्ष समिति (केएमएससी) के बैनर तले संगठित देश भर के 200 से अधिक किसान संघ ‘दिल्ली चलो’ अभियान के तहत 13 फरवरी को दिल्ली तक मार्च करेंगे। इसकी घोषणा एसकेएम (गैर-राजनीतिक) के संयोजक जगजीत सिंह दल्लेवाल ने की। केएमएससी के संयोजक, सरवन सिंह पंधेर ने घोषणा की, “200 से अधिक यूनियनों में से, लगभग 50 पंजाब से होंगे और बाकी हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, यूपी, उत्तराखंड, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों से होंगे। हर गुजरते दिन के साथ और भी यूनियनें हमारे साथ जुड़ रही हैं।”
पंजाब में यूनियनें इस पर जोर-शोर से काम कर रही हैं, ट्रैक्टर-ट्रॉलियां तैयार कर रही हैं और धरने के लिए राशन इकट्ठा कर रही हैं। पंढेर ने कहा, ‘यह कुछ साल पहले दिल्ली की सीमाओं पर हुए कृषि विरोध प्रदर्शन की तर्ज पर एक पक्का मोर्चा होगा।’