इस साल 5 जनवरी को दिल का दौरा पड़ने से कॉमरेड ए.के. श्रीवास्तव का निधन हो गया।
उनका जन्म 20 अगस्त, 1956 को कोलकता में हुआ था। वह 1976 में भारतीय रेल में शामिल हुए थे और बिजली विभाग (चतुर्थ श्रेणी) में खलासी के काम से शुरुआत करके 1989 में गार्ड (तृतीय श्रेणी) तक काम किया। वह ऑल इंडिया गार्ड्स काउंसिल (ए.आई.जी.सी.) के सदस्य बने और जिसमें उन्होंने कई पदों पर काम किया। शाखा सचिव तथा मंडल सचिव से लेकर जोनल सचिव तथा मध्य प्रदेश के उज्जैन में 2008 में हुये ए.आई.जी.सी. की द्विवार्षिक आम सभा की बैठक (बी.जी.एम.) में वे संगठन की कार्यकारिणी के अध्यक्ष चुने गए। 2010 में उन्हें फिर से उसी पद के लिए चुना गया। 2012 में उन्हें ए.आई.जी.सी. का महासचिव चुना गया और 2014 में आंध्र प्रदेश के तिरुपति में उन्हें दूसरे कार्यकाल के लिए फिर से चुना गया। महासचिव के तौर पर उन्होंने संगठन के निर्माण के लिए पूरे हिन्दोस्तान के दौरे किये। कॉमरेड श्रीवास्तव ने ऑल इंडिया रेलवे एम्प्लॉईज़ कॉनफेडरेशन (आई.आर.ई.सी.) के बैनर तले रेलवे के श्रेणीवार संगठनों की एकता बनाने के लिए काम किया। वे आई.आर.ई.सी. के पश्चिमी रेलवे जोनल सचिव थे और उन्होंने गार्ड (ए.आई.जी.सी.), लोको पायलट (ए.आई.एल.आर.एस.ए.), स्टेशन मास्टर्स (ए.आई.एस.एम.एस.ए.), ट्रैक मेंटेनर्स (ए.आई.आर.टी.यू.), सिग्नल और टेलीकॉम मेंटेनर्स (आई.आर.एस.टी.एम.यू.), ट्रेन कंट्रोलर (ए.आई.टी.सी.ए.), टिकट चेकिंग स्टाफ (आई.आर.टी.सी.एस.ओ.) आदि सहित विभिन्न श्रेणी की यूनियनों को एकजुट करके इसके पुनर्निर्माण के लिए काम किया। उन्होंने रेलवे में हो रहे निजीकरण के खि़लाफ़ सभी रेल कर्मचारियों को एकजुट करने का काम किया। रेलवे की नौकरी के अपने प्रारंभिक वर्षों से ही वे कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रभावित थे और बाद में वे हमारी पार्टी में शामिल हो गए थे। उन्होंने रेलवे कर्मचारियों के बीच पार्टी बनाने के लिए अथक प्रयास किया। कॉमरेड श्रीवास्तव ने निजीकरण और सरकार की मज़दूर-विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ रेल मज़दूरों की एकता बनाने के लिए अथक कार्य किया। कोविड महामारी के बाद वे लकवा के स्ट्रोक से अपंग हो गये थे; परन्तु वे हमेशा आशावादी थे कि वे ठीक हो जायेंगे और रेल कर्मचारियों की एकता बनाने के लिए अपना काम जारी रखेंगे। हम अपने प्रिय कॉमरेड की स्मृति को सलाम करते हैं। कॉमरेड ए.के. श्रीवास्तव अमर रहें! |