दिल्ली के मज़दूर संगठनों ने बहादुर रैट माइनर मज़दूरों को सम्मानित किया

मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट

10 दिसम्बर, 2023 को दिल्ली की ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने एक समारोह में उन 12 रैट माइनर मज़दूरों को सम्मानित किया, जिन्होंने सिलक्यारा टनल में फंसे मज़दूरों को बाहर निकालने का साहसिक काम किया था।

समारोह में विभिन्न क्षेत्रों के मज़दूरों व ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया। 12 रैट माइनर मज़दूर मंच पर उपस्थित थे।

10-Dec-Samman-Smarohये मज़दूर दिल्ली एवं उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के निवासी हैं। दिल्ली में रहने वाले मज़दूरों ने बताया कि वे दिल्ली जल बोर्ड के विभिन्न अंडरग्राउंड पाईप डालने की परियोजनाओं में कई सालों से कार्य करते रहे हैं। वे बहुत ही ग़रीब, दिहाड़ी मज़दूर हैं, जो काम मिलने पर महीने में मुश्किल से चार-पांच हजार रुपये कमा पाते हैं। अक्सर किसी निर्माण परियोजना में उन्हें काम नहीं मिलता है, तो वे बेलदार या दूसरे छोटे-मोटे काम करके गुजारा करते हैं। उनकी ज़िन्दगी की हालतें बहुत ही कठिन हैं, और उनके बच्चों व परिजनों का भविष्य अंधकारमय है।

गौरतलब है कि 2014 में सरकार के नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने रैट माइनिंग, या रैट होल माइनिंग को बेहद ख़तरनाक़ बताते हुए, उस पर बैन लगा दी थी। पर इसके बावजूद, देश के कई इलाकों में यह जोखिम भरा काम राज्य प्रशासन की पूरी जानकारी के साथ, चलता रहता है। निजी ठेकेदार कंपनियों के अलावा, दिल्ली जल बोर्ड जैसी सरकारी संस्थाओं में भी इन मज़दूरों से ठेके पर काम करवाया जाता है।

ऐसे समय पर जब टनल में फंसे 41 मज़दूरों को निकालने में निर्माण कंपनी व कई देशी-विदेशी एक्सपर्ट असफल रहे, तब राज्य प्रशासन ने इन रैट माईनर मज़दूरों को सम्पर्क किया था।

रैट माइनर मज़दूरों को जब प्रशस्ति पत्र व शील्ड देकर सम्मानित किया जा रहा था तो पूरा समारोह तालियों से गूंज उठा। नारे लगे – ‘कौन बनाता हिन्दोस्तान, देश का मज़दूर किसान!’, ‘इंकलाब जिंदाबाद!’। सम्मानित किये गए रैट माइनर मज़दूर थे – वकील हसन, मुन्ना कुरैशी, मोनू कुमार, इर्शाद, फिरोज कुरैशी, नसीम मलिक, नसीर खान, जतीन कुमार, देवेन्द्र, सौरभ, अंकुर, और राशिद अंसारी।

रैट माइनर मज़दूरों ने बचाव कार्य को करने में आई मुश्किलों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि हमें बेइंतहा खुशी और गर्व है कि हम इस मुश्किल काम में योगदान कर पाए और खुदाई करके टनल में फंसे मज़दूरों को बचा सके। यह बचाव कार्य हम सभी मज़दूरों की एकजुट कार्यवाही का परिणाम है।

आयोजक संगठनों के प्रतिनिधियों ने समारोह को संबोधित किया। उन्होंने बताया कि उतराखंड में चार धाम को आपस में जोड़ने के लिए आल वेदर रोड का निर्माण कार्य वर्ष 2018 से चल रहा है। केन्द्र सरकार और राज्य सरकार ने यह कार्य एक निजी कंपनी को ठेका पर दिया हुआ है। इस दुर्घटना से स्पष्ट हो जाता है कि इस टनल के निर्माण के लिए पर्यावरण के दृष्टिकोण से उचित मापदंड का पालन नहीं किया जा रहा है।

वक्ताओं ने समझाया कि हिमालय क्षेत्र में एक लंबी सुरंग बनाने का कार्य अत्यंत जोखिम भरा काम है। भारी निर्माण कार्य के लिए यह क्षेत्र बेहद संवेदनशील है। पूंजीवादी मुनाफ़े की भूख के चलते, इस क्षेत्र में अनियंत्रित निर्माण कार्य किया गया है, जिसकी वजह से कई बड़ी व छोटी दुर्घटनाएं हुयी हैं और जान-माल का काफी नुक़सान भी हुआ है।

कई तथ्य सामने लाये गए जिनसे साबित होता है कि ठेकेदार कम्पनी निर्माण क्षेत्र में काम करने वाले मज़दूरों की सुरक्षा के लिए विभिन्न आवश्यक नियमों एवं प्रावधानों का उल्लंघन कर रही है। जैसे कि, सिल्कयारा टनल में चल रहे कार्य के दौरान आपात स्थिति में मज़दूरों के बचने के लिए कोई वैकल्पिक रूट नहीं बनाया गया था, जो कि टनल में काम के दौरान अनिवार्य होता है। इस कारण 12 नवम्बर, 2023 को यह दुर्घटना घटी थी और 41 निर्माण मज़दूर टनल में 17 दिनों तक फंसे रहे।

सभी वक्ताओं ने मज़दूरों के काम की ख़तरनाक परिस्थितियों व सुरक्षा मापदंडों के उल्लंघन की निंदा की। उन्होंने कहा कि मज़दूरों की सुरक्षा के मापदंडों का न सिर्फ़ निजी क्षेत्र में बल्कि सरकारी निर्माण परियोजनाओं में भी उल्लंघन होता है, जिसके चलते आए दिन बड़ी-बड़ी दुर्घटनाएं होती हैं ।

इस बात पर ध्यान दिलाया गया कि जब बड़ी-बड़ी मशीनें फेल हो गयी थीं, तो ऐसे समय पर इन 12 रैट माईनर मज़दूरों ने अपने शारीरिक बल का प्रयोग करके और अपनी जानों को जोखिम में डालकर, टनल में फंसे सभी 41 निर्माण श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाला। इसमें इन मज़दूरों ने बेमिसाल साहस दिखाया। वक्ताओं ने इस पर ज़ोर दिया कि मज़दूर ही मशीनों को बनाते और चलाते हैं। जब मशीन काम करना बंद कर देती है, तो मज़दूर ही आगे का रास्ता खोलते हैं। इसलिए, मज़दूरों के जीवन और स्वास्थ्य की रक्षा करना समाज का सर्वप्रथम दायित्व है। ऐसा न करना राज्य का घोर अपराध माना जाना चाहिए ।

वक्ताओं ने मांग की कि इस दुर्घटना के लिए केन्द्र और राज्य सरकार के आला अधिकारियों तथा ठेका कंपनी के अधिकारीयों को सजा दी जानी चाहिए।

दिल्ली संयुक्त ट्रेड यूनियन मंच की ओर से दिल्ली सरकार के श्रम मंत्री से मांग की गई कि इन सभी 12 रैट माइनर मज़दूरों को इनके साहस पूर्ण कार्य के लिए 10 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी जाए। इन रैट माइनर मज़दूरों, जो इस समय ठेके पर काम कर रहे हैं, का तुरंत पंजीकरण किया जाये। सभी ठेके पर काम करने वाले व अनियमित निर्माण मज़दूरों का पंजीकरण किया जाये तथा उन सबको सामाजिक सुरक्षा व अन्य हित लाभ उपलब्ध कराये जाएं। इसके साथ-साथ, दिल्ली में चल रही सभी निर्माण परियोजनाओं में सुरक्षा मानदंडों को सख्ती से लागू किया जाए।

समारोह को संबोधित करने वालों में थे – एटक से सुकुमार दामले, एच.एम.एस. से राजेन्द्र सिंह, सीटू से तपन सेन, मज़दूर एकता कमेटी से संतोष कुमार, यू.टी.यू.सी. से शत्रुजीत, सेवा से लता, एल.पी.एफ. से मोर्या, ए.आई.सी.सी.टी.यू. से सुचेता डे, आई.सी.टी.यू. से नरेन्द्र, आई.एफ.टी.यू. से डा. अनिमेश दास, इंटक से ओंकार सिंह तोमर और जन विज्ञान आंदोलन से रघुनंदन।

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