राशन की गारंटी के लिये दिल्ली सरकार के खिलाफ़ धरना

4 मार्च, 2011 को दिल्ली के तमाम जन संगठनों ने सभी लोगों के लिए राशन उपलब्ध कराने की मांग को लेकर और पीडीएस को बंद करने तथा नगद भुगतान व्यवस्था लागू करने के दिल्ली सरकार के प्रस्तावित फैसले के खिलाफ़ धरना दिया। इस धरने में अलग-अलग इलाकों की विभिन्न मजदूर कालोनियों में रहने वाली मेहनतकश महिलाओं व पुरुषों ने सैकड़ों की संख्या में भाग लिया।

4 मार्च, 2011 को दिल्ली के तमाम जन संगठनों ने सभी लोगों के लिए राशन उपलब्ध कराने की मांग को लेकर और पीडीएस को बंद करने तथा नगद भुगतान व्यवस्था लागू करने के दिल्ली सरकार के प्रस्तावित फैसले के खिलाफ़ धरना दिया। इस धरने में अलग-अलग इलाकों की विभिन्न मजदूर कालोनियों में रहने वाली मेहनतकश महिलाओं व पुरुषों ने सैकड़ों की संख्या में भाग लिया।

धरने में शामिल लोगों ने अपने हाथों में प्लाकार्ड पकड़े हुए थे, जिन पर उनकी मांगें लिखी हुई थी – 'हमें चाहिए एक आधुनिक सर्वव्यापी सार्वजनिक वितरण व्यवस्था जिसमें खाद्य और सभी जरूरी चीजें पर्याप्त मात्रा में, अच्छी गुणवत्ता के साथ और उचित दाम पर सभी को उपलब्ध हों!', 'महंगाई पर रोक लगाओ!', 'खाद्य का वितरण जन समितियों के हाथ में हो!', 'खाद्य व्यापार में बिचौलियों को हटाओ!', 'खाद्य में वायदा व्यापार और सट्टेबाजी नहीं चलेगी!', 'काला धन जप्त करो और उसे जन कल्याण पर खर्च करो!', 'महंगाई का एक इलाज – लोक राज, लोक राज!', 'हमें खाना चाहिए, पैसा नहीं!', 'एपीएल, बीपीएल बंद करो, सब को राशन की गारंटी दो!' आदि।

लोक राज संगठन के दिल्ली सचिव ने धरने को संबोधित करते हुए कहा कि, पूरे देश की जनता खाद्य के अधिकार की मांग कर रही है, यह मांग कर रही है कि उन्हें सर्वव्यापक सार्वजनिक वितरण व्यवस्था चाहिए, जो बिना किसी भेदभाव के, सभी को मिले। इसका यह मतलब होगा कि टाटा, बिरला और अंबानी के परिवार वालों को भी आम लोगों की तरह लाईन लगाकर राशन लेना होगा। श्रोताओं ने वक्ता की बातों से सहमति जताते हुये कहा कि ऐसा ही होना चाहिये। उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों से कृषि उत्पादों की लाभदायक दाम पर खरीदी सुनिश्चित करनी चाहिये, ताकि किसानों की जिंदगी खुशहाल हो सके और उनकी रोजी-रोटी की सुरक्षा हो, उनको आत्महत्या जैसा घृणित कदम न उठाना पड़े।

देश के खाद्य के क्षेत्र में निजी बिचौलियों को हटाने की मांग करते हुए, उन्होंने खाद्य जैसे जरूरी क्षेत्र में देशी-विदेशी निजी कंपनियों के व्यापारियों पर रोक लगाने की मांग की।

इस अवसर पर विभिन्न बस्तियों के जन संगठनों के कार्यकर्ताओं ने सरकार के इस तर्क की भर्त्सना की कि पीडीएस को इसलिए बंद कर दिया गया है कि इसमें ज्यादा भ्रष्टाचार है। यह झूठा बहाना है। असल में सरकार सभी मेहनतकशों को खाद्य की गारंटी अधिकार बतौर नहीं देना चाहती है क्योंकि इससे सरकार को चलाने वाली बड़ी-बड़ी कंपनियों के मुनाफे बंद हो जायेंगे। उन्होंने कहा कि देश की पुलिस, अफसरशाही, संसद तथा न्यायपालिका, सभी जगह भ्रष्टाचार व्याप्त है, जिससे यह साबित होता है कि यह सरकार और उसे चलाने वाली ताकतें ही भ्रष्टाचार का स्रोत हैं।

कई जन संगठनों से आये कार्यकर्ताओं ने अपनी बात को प्रगतिशील गीत के रूप में रखा। जन संगठनों के प्रतिनिधियों का एक प्रतिनिधिमंडल दिल्ली सरकार के प्रतिनिधि से मिला और पीडीएस को बंद करने और नगद भुगतान की प्रस्तावित व्यवस्था को लागू करने की निंदा की और एपीएल-बीपीएल की व्यवस्था को बंद करके बगैर किसी भेदभाव के सभी लोगों को राशन की गारंटी की मांग की।

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