4 सितम्बर, 2023 को चंडीगढ़ के पंजाब भवन में किसान संगठनों और पंजाब सरकार के बीच, केंद्र सरकार से सम्बन्धित मांगों को लेकर, वार्ता हुई।
इससे पहले, 22 अगस्त को उत्तरी हिन्दोस्तान के 6 राज्यों के 16 किसान संगठनों ने चंडीगढ़ में इन मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन की घोषणा की थी। उस प्रदर्शन को रोकने के लिए, पुलिस ने आन्दोलनकारी किसानों पर लाठी चार्ज किया था। अनेक किसान नेताओं को गिरफ़्तार किया गया था और एक किसान की मौत हो गयी थी। उसके बाद 16 संगठनों के प्रतिनिधियों और पंजाब सरकार, हरियाणा सरकार तथा केंद्र सरकार के अधिकारियों के बीच चंडीगढ़ में यह वार्ता तय हुई थी।
वार्ता में भाग लेने वाले किसान संगठन थे: किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी-पंजाब, बीकेयू एकता (आज़ाद), बीकेयू क्रांतिकारी, आज़ाद किसान यूनियन-हरियाणा, बीकेयू बेहराम, बीकेयू शहीद भगत सिंह-हरियाणा, बीकेयू सर छोटू राम, किसान महापंचायत-हरियाणा, पगड़ी संभाल जट्टा, प्रगतिशील किसान मोर्चा-यूपी और राष्ट्रीय किसान संघ-हिमाचल ।
वार्ता के दौरान किसान संगठनों ने उत्तरी हिन्दोस्तान के बाढ़ प्रभावित राज्यों के लिए 50 हजार करोड़ रुपये की मुआवज़ा राशि दिये जाने की मांग की। इसके अलावा, किसानों ने एम.एस.पी. की गारंटी का क़ानून बनाने, मनरेगा के तहत हर साल 200 दिन का रोजगार देने और 2020 में दिल्ली की सीमाओं पर चले प्रदर्शन के दौरान किसानों पर पुलिस द्वारा दर्ज किये गये केस वापस लेने की मांगें भी उठायीं । लेकिन उन्हें सरकारों के प्रतिनिधियों की ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला।
किसान संगठनों ने अब घोषणा की है कि आने वाले 28 सितंबर से तीन दिवसीय रेल रोको आंदोलन किया जाएगा। इस आन्दोलन में खेत मज़दूरों की पूर्ण ऋण माफ़ी और स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की मांग उठाई जायेगी।
16 किसान संगठनों की सरकार के साथ अगली बैठक 11 सितंबर को चंडीगढ़ में घोषित की गयी है।