राजस्थान में फार्मासिस्ट धरने पर

मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट

1 सितम्बर, 2023 से राजस्थान के अलग-अलग जिलों में स्थित सरकारी अस्पतालों और डिस्पेंसरियों में काम करने वाले फार्मासिस्ट अपनी मांगों को लेकर, राजस्थान फार्मासिस्ट कर्मचारी संघ (एकीकृत) की अगुवाई में क्रमिक धरना दे रहे हैं।

Pharma worker_Rajasthanआंदोलित फार्मासिस्ट यह मांग कर रहे हैं कि उन्हें नर्सों के समान विभिन्न भत्ते दिए जायें। वे फार्मासिस्टों के पदों और वेतनों में विसंगतियों को दूर करने और समयानुसार पदोन्नति करने की मांग कर रहे हैं। वे सभी दवा वितरण केन्द्रों पर सहायकों और मशीनों की मांग कर रहे हैं और सरकारी निःशुल्क दवा केन्द्रों के कर्मियों के लिए उचित वेतन की मांग कर रहे हैं। फार्मासिस्ट ऑफलाइन रिकॉर्ड बंद करके केवल ऑनलाइन रिकॉर्ड की व्यवस्था लागू करने की मांग कर रहे हैं।

राजस्थान के फार्मासिस्ट बीते कई महीनों से, अपनी मांगों को लेकर, तरह-तरह के विरोध संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने 6 फरवरी, 2023 को जयपुर में शहीद स्मारक पर एक दिवसीय विशाल धरना दिया था। 20 से 25 मार्च के बीच उन्होंने सवाई मानसिंह मेडिकल कालेज के गेट के बाहर एक हफ्ते का धरना आयोजित किया था। 27 मार्च से 30 अप्रैल के बीच, राजस्थान के विभिन्न जिलों में उन्होंने धरना दिया था। आंदोलित फार्मासिस्ट 1 मई से काम का बहिष्कार करने वाले थे, परन्तु चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें आश्वासन दिया था कि राज्य सरकार उनकी मांगों पर सकारात्मक विचार करने जा रही है। अतः फार्मासिस्ट संगठन ने जनहित में, काम के बहिष्कार का कार्यक्रम स्थगित कर दिया था। परंतु 4 महीने बीत जाने के बाद भी राजस्थान सरकार ने फार्मासिस्टों की किसी भी महत्वपूर्ण मांग पर ग़ौर नहीं किया है। इसलिए सभी फार्मासिस्टों में सरकार के प्रति गहरा आक्रोश है।

फार्मासिस्टों ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया, तो आंदोलन के आगामी क्रम में सभी मेडिकल कालेजों, जिला मुख्यालयों तथा ब्लाक कार्यालयों पर 4-6 सितंबर को सुबह 8-10 बजे के बीच गेट मीटिंग करके विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। 8 सितंबर को जयपुर में विशाल धरना किया जायेगा। 11-17 सितम्बर के बीच 2 घंटे के लिये काम का बहिष्कार किया जाएगा। 15 सितंबर को प्रदेश के सभी फार्मेसिस्ट सामूहिक अवकाश लेंगे। यदि 15 सितम्बर 2023 तक फार्मासिस्टों की मांगों पर कोई सकारात्मक कार्यवाही नहीं की गई तो फार्मासिस्टों को मजबूरन काम का पूर्ण बहिष्कार करना पड़ेगा।

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