मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट
28 अगस्त को नयी दिल्ली के जंतर-मंतर पर सैकड़ों महिला सफ़ाई कर्मचारियों ने एक ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन किया। ये कर्मचारी ‘सफ़ाई कर्मचारी आन्दोलन’ के झंडे तले, 11 मई 2022 से, यानी बीते लगभग 480 दिनों से, देश के अलग-अलग इलाकों में सफाई कर्मचारियों की मौतों पर रोशनी डालने के लिए आन्दोलन चला रही हैं।
अन्दोलनकारी महिलाओं ने हाथों में ‘हमें मारना बंद करो!’ का बैनर तथा अपनी मांगों के बैनर लिए हुए थे। साथ ही साथ मृतक सफ़ाई कर्मचारियों की तस्वीरें भी ली हुयी थीं। प्रदर्शन में आन्दोलनकारी कर्मचारियों ने इस बात पर लोगों का ध्यान आकर्षित किया कि सिर्फ 2023 में ही अब तक, 59 सफाई कर्मचारियों की मौत हो चुकी है। इनमें कई मज़दूर 18-25 साल की उम्र के थे। परन्तु सरकार के मंत्रियों ने संसद में इस पर सरासर झूठ बोला है, उन्होंने आरोप लगाया। सरकार को ग़रीब मेहनतकशों की जान की कोई परवाह नहीं है, सिर्फ़ अमीरों की दौलत बढ़ाने की परवाह है, ऐसा आन्दोलनकारी महिलाओं ने दावा किया।
महिला सफ़ाई कर्मचारियों ने सीवरों और टंकियों की सफ़ाई करने वाले मज़दूरों के लिए, सरकार से संपूर्ण सुरक्षा साधनों, गैस मास्क, आदि की मांग की है। वे मृत मज़दूरों के परिजनों के लिए उचित मुआवज़े तथा इज़्ज़त से जीवन जीने के अधिकार की मांग कर रही हैं। उन्होंने ऐलान किया है कि जब तक ये मांगें देशभर में पूरी नहीं की जायेंगी, तब तक उनका आन्दोलन जारी रहेगा।