ओलंपिक पदक विजेता और राष्ट्रमंडल चैंपियन जैसे देश के जाने-माने पहलवान, 23 अप्रैल से दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यू.एफ.आई.) के प्रमुख और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। उन्होंने मांग की है कि डब्ल्यू.एफ.आई. प्रमुख को गिरफ़्तार किया जाना चाहिए, उन्हें पद से हटाया जाना चाहिए और उनके खि़लाफ़ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
चार दिनों के निरंतर विरोध के बाद, सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप पर दिल्ली पुलिस ने एफ़.आई.आर. दर्ज़ की थी। परन्तु पहलवानों की मांग अभी तक पूरी नहीं हुई है। पहलवानों ने घोषणा की है कि वे अपना विरोध जारी रखेंगे और अगर 21 मई तक डब्ल्यू.एफ.आई. प्रमुख को गिरफ़्तार नहीं किया गया तो अपना आंदोलन और तेज़ करेंगे।
7 मई की शाम को प्रदर्शनकारियों ने जंतर-मंतर पर कैंडल मार्च निकाला। उन्होंने पूरे देश के लोगों से आह्वान किया कि उनके समर्थन में कैंडल मार्च निकालें।
प्रदर्शनकारी पहलवानों और उनके समर्थकों को धरना स्थल पर पुलिस और अधिकारियों की प्रताड़ना का सामना करना पड़ा है। उन्हें बड़े पैमाने पर पुलिस की तैनाती के साथ, बैरिकेड्स के पीछे बंद कर दिया गया है। भारी बैरिकेडिंग और पुलिस की धमकाऊ उपस्थिति पहलवानों के लिए, लोगों के साथ बातचीत करने में एक बाधा बन गयी है।
3 मई की रात को भारी बारिश के बाद जब प्रदर्शनकारी पहलवान रात गुज़ारने के लिए फोल्डिंग बेड लाने की कोशिश कर रहे थे, तब पुलिस ने पहलवानों पर हमला किया था। इसमें कुछ प्रदर्शनकारी घायल हो गए। प्रदर्शनकारियों ने अधिकारियों पर धरना स्थल पर बिजली और पानी की सप्लाई काटने का आरोप भी लगाया है, जिससे उनकी असुविधाएं और असुरक्षा बढ़ गई हैं। अधिकारियों के इस प्रकार के बर्ताव से नाराज़ और अपमानित होकर, पहलवानों ने अपना विरोध प्रकट करने के रूप में, अपने पदकों वापस करने की धमकी दी है।
महिला संगठन, किसान संगठन, मज़दूरों और नौजवानों के संगठन और देशभर से सैकड़ों लोग पहलवानों से मिलने और अपना समर्थन जताने के लिए धरना स्थल पर पहुंच रहे हैं।
चार राष्ट्रीय महिला संगठनों – आल इंडिया डेमोक्रेटिक विमेंस एसोसिएशन (एडवा), भारतीय महिला फेडरेशन (एन.एफ़.आई.डब्ल्यू.), अखिल भारतीय महिला सांस्कृतिक संगठन (ए.आई.एम.एस.एस.) और अखिल भारतीय अग्रगामी महिला संगठन (ए.आई.ए.एस.एस.) ने एक संयुक्त बयान जारी करके पहलवानों का समर्थन किया है। उन्होंने डब्ल्यू.एफ.आई. प्रमुख और हरियाणा के मंत्री संदीप सिंह की तत्काल गिरफ़्तारी के लिए देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करने का संयुक्त आह्वान किया है, क्योंकि इन दोनों पर महिला एथलीटों के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया है।
इससे पूर्व, 27 अप्रैल को महिला संगठनों ने जंतर-मंतर के निकट, जय सिंह रोड स्थित पुलिस मुख्यालय पर संयुक्त विरोध जुलूस किया था। प्रदर्शनकारी संगठनों में एडवा, ए.आई.एम.एस.एस., एपवा, एन.एफ़.आई.डब्ल्यू., प्रगतिशील महिला संगठन और पुरोगामी महिला संगठन शामिल थे। उन्होंने पहलवानों की मांगों का समर्थन करते हुए, पुलिस आयुक्त को एक संयुक्त ज्ञापन सौंपा, लेकिन उन्हें पुलिस मुख्यालय तक जुलूस निकालने से रोक दिया गया था।
30 अप्रैल, 2023 को आयोजित, संयुक्त किसान मोर्चा (एस.के.एम.) की राष्ट्रीय बैठक में प्रदर्शनकारी पहलवानों का पूरा समर्थन करने का आह्वान किया गया था।
एस.के.एम., जिसने दिल्ली की सरहदों पर साल भर (2020-21) चलने वाले किसान आंदोलन की अगुवाई की थी, उन्होंने 6 मई को प्रदर्शनकारी पहलवानों के समर्थन में देशभर में आन्दोलन चलाने के कार्यक्रम की घोषणा की। घोषणा के अनुसार, 11-18 मई तक सभी राज्यों की राजधानियों और जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किये जायेंगे।
7 मई को पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से एस.के.एम. के नेता और सैकड़ों किसान कार्यकर्ता पहलवानों को अपना समर्थन देने के लिए, जंतर-मंतर के विरोध स्थल पर पहुंचे।
किसानों को राजधानी में मार्च करने से रोकने के लिए 7 मई को, 2000 से अधिक पुलिस कर्मियों को विरोध स्थल पर और उसके साथ-साथ, उत्तर पश्चिम दिल्ली में सिंघू बॉर्डर तथा दिल्ली की अन्य सरहदों पर तैनात किया गया था। कई किसान कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। परन्तु बेरिकेड्स और भारी पुलिस उपस्थिति के बावजूद, किसान विरोध स्थल तक पहुंचने में सफल रहे। उन्होंने वहां बैठकें कीं और प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया, लोगों से पहलवानों के संघर्ष का समर्थन करने का आह्वान किया। बृजभूषण शरण सिंह की तत्काल गिरफ़्तारी की मांग को लेकर एस.के.एम. के प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली के पुलिस आयुक्त, केंद्रीय खेल मंत्री, गृहमंत्री और अन्य अधिकारियों से मुलाक़ात की।
पहलवानों ने मिल रहे समर्थन के लिए आभार प्रकट किया है, जिससे उन्हें अपनी जायज़ मांगों के लिए लगातार संघर्ष करते रहने का साहस मिल रहा है।