दिल्ली में मई दिवस पर रैली

मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता का रिपोर्ट

मज़दूर एकता कमेटी ने मई दिवस 2023 के अवसर पर एक बयान जारी किया (देखिये मई दिवस पर मज़दूर एकता कमेटी का बयान)। यह बयान हजारों-हजारों की संख्या में दिल्ली की फैक्ट्रियों और मज़दूरों के रिहायशी इलाकों में तथा संयुक्त मई दिवस रैली में बांटा गया।

May Day_Delhi_Final1 मई, 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस के अवसर पर दिल्ली के चांदनी चौक में स्थित टाउन हॉल पर संयुक्त मई दिवस की रैली आयोजित की गयी। यह रैली दिल्ली ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच की अगुवाई में आयोजित की गई थी। भारी वर्षा के बावजूद सैकड़ों की संख्या में मज़दूर मई दिवस मनाने के लिये एकत्रित हुए। बड़ी संख्या में महिला मज़दूरों ने गर्मजोशी के साथ रैली में भाग लिया।

“न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये लागू करो!”, “ठेकेदारी प्रथा को ख़त्म करो!”, “सबको स्थाई रोज़गार दो!”, “पुरानी पेंशन योजना को लागू करो!”, “असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों के लिए सामाजिक सुरक्षा लागू करो!”, “मज़दूर-विरोधी लेबर कोड वापस लो!”, “समान काम का समान वेतन!”, “रेलवे, बिजली, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा के निजीकरण को बंद करो!”, “पूंजीवादी शोषण नहीं चलेगा!”, “किसानों को सही दाम दो!”, दुनिया के मज़दूरों, एक हो!”, “मज़दूर-किसान एकता ज़िंदाबाद!”, “इंक़लाब ज़िंदाबाद !”, आदि जैसे नारों से सभा स्थल गूंज उठा। रैली के सहभागियों के हाथों में बैनर और प्लेकार्ड थे, जिन पर मज़दूरों की मांगें लिखी हुयी थीं।

जोशपूर्ण नारों ने चांदनी चौक के बाज़ारों से गुजरने वाली भारी आबादी को जनसभा की ओर आकर्षित किया।

मज़दूर वर्ग के अधिकारों के संघर्ष के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुये, जनसभा की शुरुआत की गयी।

सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने केंद्र व राज्य सरकार की मज़दूर विरोधी, जन-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी नीतियों की कड़ी निंदा की। उन्होंने बताया कि ये नीतियां पूंजीपति वर्ग के हित के लिए हैं। चार नए लेबर कोड देशी और विदेशी कार्पोरेट घरानों द्वारा मज़दूरों के शोषण और श्रम की लूट को और आसान करने के लिए लाये गए हैं। इनके ज़रिये हमारे सालों-सालों के संघर्ष व कुर्बानियों से हासिल किये गए अधिकारों को छीना जा रहा है।

स्थाई रोज़गार को ख़त्म किया जा रहा है। फैक्ट्रियों में दैनिक काम के घंटों को 8 से बढ़ा कर 12 किया जा रहा है। दिल्ली में 95 प्रतिशत मज़दूरों को न्यूनतम वेतन नहीं मिलता है। पूंजीपति मालिकों के मुनाफ़ों को सुरक्षित रखने के लिए, मनमाने ढंग से छंटनी व तालाबंदी की जा रही है। केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकारें, दोनों इसमें लगी हुयी हैं।

May Day_Delhi_Finalमज़दूरों की एकता को तोड़ने के इरादे से हुक्मरानों और उनके दलालों द्वारा धर्म और जाति के नाम पर हमें बांटने की साज़िशें की जा रही हैं। इनसे हमें चौकन्ने रहना होगा, इस पर वक्ताओं ने ज़ोर दिया। सभी वक्ताओं ने मज़दूरों और किसानों के एकजुट संघर्ष को और तेज़ करने का आह्वान किया।

मज़दूर एकता कमेटी के वक्ता संतोष कुमार ने उन सभी को लाल सलाम कहकर अभिवादन दिया, जो हुक्मरानों के हमलों का सामना करते हुए, अपने अधिकारों के लिए बहादुरी से संघर्ष कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आज अमरीका, यूरोप और दुनिया के दूसरे भागों में, पूंजीवादी शोषण के खि़लाफ़ मज़दूर सड़कों पर उतर रहे हैं। मज़दूर अपने अधिकारों पर हो रहे हमलों के विरोध में, सामाजिक सुरक्षा में कटौती के विरोध में, पक्की नौकरियों और जीने लायक वेतन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हमारे देश में भी मज़दूर और किसान बढ़-चढ़ कर संघर्ष कर रहे हैं।

केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारें निजीकरण की नीति को बढ़ावा दे रही हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों और सार्वजनिक सेवाओं को कौड़ियों के भाव पर इजारेदार पूंजीपतियों को सौंपा जा रहा है।

सभी सरकारों ने देश के हुक्मरान पूंजीपति वर्ग की अमीरी को बढ़ाने का ही काम किया है। मज़दूरों और किसानों का शोषण बढ़ता ही जा रहा है। न्यायालय, संसद, संविधान, क़ानून व्यवस्था – ये सब हुक्मरान पूंजीपति वर्ग के हितों की रक्षा करते हैं। बड़े-बड़े इजारेदार पूंजीवादी घराने करोड़ों-करोड़ों रुपए खर्च करके चुनावों में उसी पार्टी की जीत को सुनिश्चित करते हैं, जो सबसे बेहतरीन तरीके़ से पूंजीपतियों के अजेंडे को लागू करेगी और साथ-साथ लोगों को बेवकूफ बनायेगी। सरकारें बदलती रही हैं लेकिन मज़दूर-किसान की ज़िंदगी में कोई सकारात्मक बदलाव नहीं आया है।

हम मज़दूरों और किसानों को इस भ्रम को ख़त्म करना होगा कि पूंजीपति वर्ग की हुकूमत और मौजूदा शोषण-दमन की व्यवस्था के अन्दर हमारी हालतों में उन्नति हो सकती है। हमें पूंजीपति वर्ग की सेवा करने वाली एक पार्टी को सरकार से हटाकर दूसरी पार्टी को सरकार में लाने से अपनी हालातों में किसी परिवर्तन की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।

अंत में उन्होंने कहा कि हम मज़दूर और किसान देश की दौलत को पैदा करते हैं। हमें इस देश का मालिक बनना होगा। हम मज़दूरों-किसानों को अपनी हुकूमत स्थापित करनी होगी।

सभा को संबोधित करने वालों में शामिल थे – एटक से अमरजीत कौर, ए.आई.यू.टी.यू.सी. से आर.के. शर्मा, ए.आई.सी.सी.टी.यू. से सुचेता डे, सीटू से अनुराग सक्सेना, एच.एम.एस. से नारायण सिंह, सेवा से सुभद्रा, यू.टी.यू.सी. से मानवेंद्र सिंह, टी.यू.सी.सी. से एस.के. गुप्ता तथा आई.सी.टी.यू. से नरेन्द्र सिंह।

सभा में जन नाट्य मंच ने क्रांतिकारी गीत प्रस्तुत किया।

जोशीले नारों के साथ और संघर्ष को आगे बढ़ाने का संकल्प लेते हुए, रैली का समापन हुआ।

मई दिवस के अवसर पर नौजवानों का कार्यक्रम

मज़दूर एकता कमेटी ने 30 अप्रैल, 2023 को दक्षिण दिल्ली के ओखला औद्योगिक क्षेत्र में नौजवानों के लिए प्रतियोगिता का आयोजन किया। इस प्रतियोगिता को आयोजित करने के लिए, मज़दूर एकता कमेटी के कार्यकर्ताओं ने कई दिनों तक लगातार मज़दूरों के घर-घर जाकर उन्हें कार्यक्रम में शामिल होने को प्रोत्साहित किया। प्रतियोगिता-कार्यक्रम में सौ से ज्यादा युवाओं ने बड़े उत्साह के साथ हिस्सा लिया।

इस प्रतियोगिता में मज़दूर वर्ग की ज़िंदगी से जुड़े विषयों को नौजवानों ने निबंध तथा चित्रकला के रूप में प्रस्तुत किया। उदाहरण के लिए, निबंध के कुछ विषय थे – मई दिवस का महत्व, मेरी मां की दिनचर्या, टैंकर पर पानी भरने से पढ़ाई का नुकसान, आदि। चित्रकला के कुछ विषय थे – टैंकर पर पानी भरते लोग, काम करते मज़दूर, फल बेचते अंकल, मेरा परिवार, आदि। नौजवानों की गहरी सोच व संवेदनशीलता, सांस्कृतिक व कलात्मक गुण – जो उनके निबंधों और चित्रों में देखने में आये – बहुत ही प्रेरणाजनक थे।

इसके अलावा, छोटे बच्चों के लिए बोरी दौड़ आयोजित की गयी थी।

कार्यक्रम लगभग पूरे दिन तक चला। शाम को समापन सभा हुयी, जिसमें पुरस्कार वितरण किया गया। नौजवानों और उनके परिजनों ने भारी संख्या में सभा में हिस्सा लिया। मज़दूर एकता कमेटी के कार्यकर्ताओं और कई दूसरे संगठनों, जैसे कि कॉनकर इंप्लाइज यूनियन, दक्षिण दिल्ली ई-रिक्शा चालक यूनियन, लोक राज संगठन, आदि के नेताओं ने पुरस्कार वितरण करके अपनी प्रोत्साहनकारी बातों से नौजवानों के हौसले बुलंद किये।

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