फ़सल बीमा भुगतान के मुद्दे पर नोहर के किसानों का जबरदस्त संघर्ष

नोहर में किसान अपनी मांगों को लेकर संघर्ष करते आये हैं। हाल के दिनों में उन्होंने संघर्ष को और तीखा किया है। उनकी दस सूत्रीय मांगों मे शामिल हैं – बकाया बीमा क्लेम किसानों के खातों में डालना, क्रॉप कटिंग का डाटा सार्वजनिक करना, बंद बीमा पॉलिसियों को बहाल करना, किसानों के बंद केसीसी खातों को दोबारा चालू करना, वारिस प्रमाण पत्र की अनिवार्यता हटाना, नए कृषि कनेक्शन जारी करना, नहरों में पूरा सिंचाई पानी देना, जल जीवन मिशन योजना में सुधार आदि। संघर्ष के नेतृत्व में अखिल भारतीय किसान सभा और लोक राज संगठन के साथ-साथ अन्य संगठन व अनेक तबके के लोग एक साथ आये हैं।

Nohar_dharnaकिसानों का अनुभव रहा है कि जब उनकी फ़सलों को नुक़सान हो जाता है तो उनके बीमा क्लेम का पूरा भुगतान नहीं किया जाता है। उन्होंने आरोप लगाया है कि बीमा कंपनियां सरकार से मिलीभगत करके किसानों के बीमा क्लेम में कटौती करती हैं। इसीलिये उन्होंने मांग की है कि क्रॉप कटिंग के आंकड़ों को सार्वजनिक किया जाये और इसके आधार पर किसानों को पूरा बीमा क्लेम दिया जाये।

संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिये किसानों ने 16 जनवरी से नोहर उपखंड कार्यालय के बाहर अनिश्चितकालीन धरना देने का निश्चय किया और उपखंड कार्यालय का घेराव करके महापड़ाव डाला। उपखंड कार्यालय के समक्ष धरना स्थल पर बड़ी संख्या में जुटे किसानों ने मुख्य सड़क पर बैठकर सभा में राज्य व केंद्र सरकार पर जमकर प्रहार किए। इसके बाद आक्रोशित किसानों ने उपखंड कार्यालय के सामने लगे अवरोधकों को तोड़ डाला। आंदोलनकारी किसान पुलिस को धकियाते हुए उपखंड कार्यालय के अंदर जा घुसे। देर शाम तक किसान उपखंड कार्यालय के अंदर घुसकर पड़ाव डाले हुए थे।

पड़ाव को लोकराज संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हनुमानप्रसाद शर्मा, माकपा सचिव सुरेश स्वामी, साहित्यकार विनोद स्वामी, ब्लॉक डायरेक्टर राजेश डूडी, सरजीत बेनीवाल, रामेश्वर खिचड़, जीतराम बालिया, प्रताप सिंवर, भालाराम स्वामी, राकेश नेहरा, बालचंद शीला, मनीराम नेहरा, हेमराज कडवासरा, गणपतराम सहारण, दीलीप सहारण, अनिल श्योराण, प्रताप गोस्वामी, नरेख खाती आदि ने संबोधित किया।

वक्ताओं ने कहा कि बीमा क्लेम वितरण के आंकड़ों को छुपाना अपने आप में चोरी को साबित करता है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में खेती किसानी को घाटे का सौदा बनाने में राज्य व केंद्र सरकार की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। डीएपी व यूरिया संकट से लेकर बीमा क्लेम तक अन्नदाता को सड़कों पर धक्के खाने को मजबूर किया जा रहा है। ऐसे में किसानों को भी एकजुटता के साथ संघर्ष करना होगा। किसानों ने कड़ाके की ठंड में टैंट में रात बिताई।

अगले दिन सुबह एडीएम व उपखंड कार्यालय के दफ़्तर खुलने के साथ ही किसानों ने आंदोलन तेज कर आर-पार के संघर्ष की चेतावनी देते हुए बीमा क्लेम मिलने तक आंदोलन जारी रखने की घोषणा की।

स्थानीय प्रशासन के साथ आंदोलनकारी किसानों की पहले दो बार की वार्ता विफल होने के बाद 17 जनवरी को जिला कलक्टर व पुलिस अधीक्षक शाम को अपखंड कार्यालय पहुंचे। जिला कलक्टर ने मांगों पर चर्चा करके सभी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया।

इसके बाद किसानो ने अपने महापड़ाव को समाप्त कर दिया है लेकिन बीमा भुगतान होने तक अपना धरना जारी रखने का फै़सला लिया है।

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