ब्रिटेन के मज़दूरों ने अपना संघर्ष तेज़ किया

ब्रिटेन में सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा सहित कई प्रमुख उद्योगों और सेवाओं में श्रमिकों के संघर्षं बढ़ते जा रहे हैं।

Britain_nurses_struggle-पूरे स्कॉटलैंड के शिक्षकों ने दिसंबर 2022 की शुरुआत में लगभग 40 वर्षों में पहली बार हड़ताल की। इंग्लैंड और वेल्स में शिक्षा क्षेत्र के लाखों मज़दूर सार्वजनिक शिक्षा के लिए अधिक सरकारी धन और अपने लिये बेहतर वेतन की मांगों को लेकर हड़ताल की योजना बना रहे हैं।

ब्रिटेन में स्वास्थ्य क्षेत्र के मज़दूरों ने 2022 के पूरे दिसंबर माह के दौरान विरोध प्रदर्शनों की एक श्रृंखला चलाई। उसी महीने के अंतिम सप्ताह में उन्होंने घोषणा की कि वे पूरे 2023 के दौरान अधिक वेतन और कामकाजी की बेहतर परिस्थितियों के लिए अपने संघर्ष को तेज़ करेंगे।

इंग्लैंड और वेल्स में हजारों नर्सें और एम्बुलेंस मज़दूर दिसंबर 2022 में हड़ताल पर रहे और जनवरी 2023 में और भी विरोध प्रदर्शनों व हड़तालों की योजना बना रहे हैं। वे बेहतर वेतन और कामकाजी परिस्थिति की मांग कर रहे हैं।

रॉयल कॉलेज ऑफ नर्सिंग (आर.सी.एन.) की नर्सों के 18-19 जनवरी, 2023 को हड़ताल पर जाने की उम्मीद है। जीवन के लिये आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती क़ीमतों के चलते वे वेतन बढ़ाने की अपनी मांगों को लेकर दिसंबर 2022 में पहले ही हड़ताल और विरोध प्रदर्शन कर चुकी हैं।

आर.सी.एन. के महासचिव के मुताबिक, कई दौर की बातचीत के बावजूद सरकार नर्सों के वेतन को नहीं बढ़ाने के अपने फ़ैसले पर अड़ी हुई है। नर्सें अपने संघर्ष को और तेज़ करने के लिए अडिग हैं।

स्कॉटलैंड में नर्स की यूनियनों ने स्कॉटिश सरकार के नवीनतम वेतन प्रस्ताव पर मतदान करके उसे अस्वीकार कर दिया था और 15 और 20 दिसंबर को हड़ताल पर जाने के अपने निर्णय की घोषणा की थी।

ब्रिटेन में एम्बुलेंस कर्मचारियों ने बेहतर वेतन और कामकाज की बेहतर परिस्थिति की मांग को लेकर 11 जनवरी को हड़ताल की कार्रवाई की घोषणा की है।

ब्रिटेन की सरकार ने मज़दूरों की मांगों को मानने से इंकार कर दिया है। इसके बजाय, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री और ब्रिटिश सरकार के अन्य प्रमुख सदस्यों ने हड़ताल को तोड़ने और अस्पताल तथा एम्बुलेंस सेवाओं को चलाने के लिए सेना तैनात करने की धमकी दी है। स्वास्थ्य कर्मियों को आशंका है कि सेना के जवान हड़ताली नर्सों और एंबुलेंस के मज़दूरों द्वारा प्रदान की जाने वाली सभी सेवाएं प्रदान करने में सक्षम नहीं होंगे।

जाहिर है, ब्रिटिश शासक वर्ग को न तो मज़दूरों की कामकाजी परिस्थिति की चिंता है और न ही लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा की।

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