बिजली का निजीकरण समाज के हितों के विरुद्ध है
बिजली क्षेत्र के मज़दूरों का संघर्ष पूरी तरह जायज़ है

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(पी.डी.ऍफ़. डाउनलोड करने के लिए चित्र पर क्लिक करें)

हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के द्वारा मई से अगस्त 2022 के बीच प्रकाशित लेखों का संकलन

बिजली क्षेत्र के मज़दूर निजीकरण के ख़िलाफ़ एक जुझारू संघर्ष कर रहे हैं। मज़दूरों की विभिन्न यूनियनें और फेडरेशनें, जिनमें इंजीनियरिंग और तकनीकी मज़दूरों के संगठन शामिल हैं, वे एक झंडे तले आकर सरकार पर दबाव डाल रहे हैं कि बिजली (संशोधन) विधेयक 2022 के मौजूदा स्वरूप को वापस लिया जाये। बिजली क्षेत्र के मज़दूरों ने ज़ोर दिया है कि बिजली का निजीकरण समाज के आम हितों के विपरीत है। इस आधार पर उन्होंने अपने आंदोलन के लिये बिजली उपभोक्ताओं, यानी कि देश के लोगों से सफलतापूर्वक समर्थन जुटाया है। तीन कृषि क़ानूनों के विरोध में एक साल से भी ज्यादा समय तक आंदोलन करने वाले किसानों की भी यह एक अहम मांग रही है। देश के हर इलाके में बिजली के उपभोक्ता बिजली की ऊंची दरों का विरोध करते आये हैं। देश के अलगअलग हिस्सों में अपने बहादुर संघर्ष के ज़रिये बिजली मज़दूरों ने सरकार द्वारा बिजली सप्लाई के पूर्ण निजीकरण पर अंकुश लगाया है।

यह पुस्तिका हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की वेब साईट (www.hindi.cgpi.org) पर मई और अगस्त, 2022 के बीच, बिजली के निजीकरण के ख़िलाफ़ प्रकाशित छः लेखों का संकलन है। लेखों को प्रकाशन के लिये संपादित किया गया है। सरकार द्वारा निजीकरण के पक्ष में किये गये दावों को इन लेखों में झूठा साबित किया गया है। इन लेखों से इस सच्चाई का पर्दाफ़ाश होता है कि इजारेदार पूंजीपति ही निजीकरण के कार्यक्रम को आगे धकेल रहे हैं। लेखों से यह भी स्पष्ट होता है कि निजीकरण के कार्यक्रम को परास्त करना ज़रूरी भी है और मुमकिन भी।

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