राजस्थान में किसानों ने नकली उर्वरक मामले में जांच और मुआवज़े की मांग की

Chartउर्वरकों की कीमतें तेज़ी से बढ़ रही हैं। उदाहरण के लिये पिछले तीन सालों में डाई अमोनियम फोस्फेट (डी.ए.पी.) उर्वरक की कीमतें 20,000 रुपये प्रति मैट्रिक टन से बढ़कर 60,000 रुपये प्रति मैट्रिक टन से भी ऊपर पहुँच गयी हैं (चार्ट देखिये)। एक तरफ उर्वरकों की कीमतें आसमान छू रही हैं और दूसरी तरफ ऊंची कीमतें चुकाने पर भी किसानों को असली उर्वरक नहीं मिल रही हैं।

19 अक्तूबर, 2022 को कृषि विभाग के अधिकारियों को यह सूचना मिली कि हनुमानगढ़ जिले के नोहर कस्बे की दुर्गा कॉलोनी में एक सूनसान जगह पर, एक मकान में देश की नामी कंपनियों के बैगों में सुपर फास्फेट तथा मिट्टी की गोलियां डालकर, डीएपी के नाम से नकली उर्वरक तैयार किया जा रहा है।

कृषि अधिकारी जब वहां तहकीकात करने पहुंचे, तो उन्हें वहां पर बड़ी संख्या में नकली डीएपी के बैग मिले और उन बैगों पर नामी कंपनियों के ब्रांड की नकल की हुई थी, जैसे कि चंबल फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स, इंडियन पोटाश लिमिटेड (आई.पी.एल.), आदि। उस मकान से सिंगल सुपर फास्फेट व एडिटीव के सैकड़ों बैग पाए गए। साथ ही, अनेक ऐसे उपकरण भी मिले जिनकी मदद से नकली उर्वरक तैयार किया जा रहा था, जैसे कि इलेक्ट्रिक कांटा, पावर स्प्रेयर, बिल बुक, रजिस्टर, मोबाइल आदि।

Nohar-Deligationलोक राज संगठन के सर्व हिंद उपाध्यक्ष, श्री हनुमान प्रसाद शर्मा की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल ने 20 अक्तूबर को राजस्थान के नोहर में, नायब तहसीलदार को मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें नकली खाद बनाने वालों को सज़ा दिलाने की मांग की गयी है। लोक राज संगठन के कार्यकर्ता ताराचंद स्वामी, कृष्ण नोखवाल आदि प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे।

मुख्यमंत्री के नाम से दिये गये इस ज्ञापन में कहा गया है कि अपराधियों को शीघ्र जेल में डालकर, मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए, जिससे किसान और किसानी को बचाया जा सके। अभी तक कितना नकली उर्वरक किसानों में बिक चुका है, इसकी जांच करके किसानों को जानकारी दी जाए, ताकि सरकार किसानों की बर्बाद हुई फ़सलों का मुआवज़ा समय पर देकर, किसानों को हुए नुक़सान की भरपाई कर सके।

आंदोलनकारियों ने ऐलान किया है कि अगर अपराधियों को फौरन गिरफ़्तार करके सज़ा न दी गयी और इस मामले में अगर अधिकारी तुरंत जांच करके किसानों को जानकारी नहीं देते, तो लोक राज संगठन सभी किसान संगठनों के साथ एकजुट होकर आंदोलन करेगा।

समस्या की जड़ है कि हिन्दोस्तानी राज्य ने किसानों के लिये उचित दाम पर अच्छी गुणवत्ता की लागत वस्तुओं को उपलब्ध कराने की अपनी ज़िम्मेदारी त्याग दी है। राज्य बढ़ते तौर पर निजी कंपनियों को छूट दे रहा है कि वे किसानों के लिये बीज व उर्वरक जैसी ज़रूरी लागत वस्तुओं को मनमाने दामों पर बेच कर अपने मुनाफ़ों को अधिकतम बनाये। इस परिस्थिति में नकली उर्वरक के बाज़ार को बढ़ावा मिल रहा है, जिसकी वजह से किसानों की परिस्थिति बद से बदतर हो रही है। मज़दूर एकता लहर लोक राज संगठन द्वारा उठायी किसानों की मांगों को जायज़ मानता है और उनका समर्थन करता है।

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