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आज़ादी के 75 वर्ष पत्र-1

प्रिय संपादक

हिन्दोस्तान में हर साल की तरह इस साल भी स्वतंत्रता दिवस की तैयारियां ज़ोर-षोर की गयीं। आज़ादी के 75 वर्ष पूरे होने पर आज़ादी के अमृत महोत्सव को मनाया गया और हर घर तिरंगा लहराने की अभियान किया गया।

मेरा सवाल है कि क्या हिन्दोस्तान आज़ाद है? मेरा मानना है कि हिन्दोस्तान में ब्रिटिष की जगह पर सत्ता की बागडोर हिन्दोस्तानी ज़रूर थामे हुए हैं। इतने सालों से मैं अपने जीवन में देखती आ रही हंू कि चेहरे बदल गये हैं, पर षासन व्यवस्था उसी तरह की है जैसी ब्रिटिश काल मेें थी। अपने देष की परंपरा हो चुकी है कि जो भी पार्टी सत्ता में आती है उसका काम अपनी पीठ थपथपाना और दूसरी पार्टियों की निंदा करना ही है। असलीयत में यह सिर्फ नाम की आज़ादी है।

क्या हमें आज भी सब सुविधाएं मिलती हैं? एक इन्सान बतौर जीने के लिये भौतिक सुविधाएं ज़रूरी होती हैं, जैसे पीने का साफ पानी, घर, सड़क, बिजली, परिवहन, इत्यादि। यह सब हर इन्सान को उपलब्ध होना चाहिये। इसके अलावा, जीवनयापन करने के लिये हर हाथ को काम, हर बच्चे को षिक्षा, हर इन्सान के लिये स्वास्थ्य सुविधा, सभी को वाजिब दाम में खाने लायक राषन – इन सभी चीजों को उपलब्ध कराना राज्य का फर्ज़ है। मगर इन्हीं चीजांे को हासिल करने के लिये आम आवाम को हर दिन संघर्ष करना पड़ता है।

इन्हीं चीज़ों को पाने के संघर्ष में आम इन्सान की पूरी ज़िंदगी ख़त्म हो जाती है पर ये बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं। जब लोग इन सारी चीजों के लिये आवाज़ उठाते हैं तो सरकार उन पर कोई घ्यान नहीं देती। जब लोग अपने अधिकारों के लिये आंदोलन करते हैं तो उन्हें देषद्रोही या फिर आतंकवादी करार दिया जाता है। उन्हें काले क़ानून के तहत जेल में बंद कर दिया जाता है। उनकी पूरी-पूरी ज़िंदगी जेलों में ख़त्म हो जाती है।

मज़दूर सौ से भी अधिक सालों से अपने हक़ो के लिये लड़ रहे हैं परन्तु आज भी उनकी हालत बद से बदतर हो गई है। मज़दूरों ने संघर्ष करके जो कुछ हासिल किया है उसको भी छीना जा रहा है। 8 घंटे के काम के अधिकार और न्यूनतम वेतन के अधिकार को समाप्त किया जा रहा है। काम की जगह पर महिला सुरक्षित नहीं है। महिलाओं से कम वेतन पर काम करवाया जा रहा है। क़र्ज़ में डूबने की वजह से हर साल सैकड़ों किसान आत्महत्या कर लेते हैं। जिसकी कोई जवाबदेही नहीं है।

हम सबको यह समझना होगा की पार्टी बदलने से काम नहीं चलने वाला। हमें एकजुट होकर इस व्यवस्था को उखाड़कर एक नई व्यवस्था को क़ायम करने के लिए सघ्ंार्ष करना होगा जिसमें सही माइने में पूरे हिन्दोस्तान के लोग स्वतंत्र और खुषहाल रह सकेंगे।

आपकी, सना

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