2 अगस्त, 2022 को देश के कोने-कोने से आये बिजली क्षेत्र के मजदूरों ने बिजली (संशोधन) विधेयक 2022 के विरोध में नई दिल्ली स्थित कांस्टीट्यूशन क्लब में एक राष्ट्रीय अधिवेशन में भाग लिया। इस अधिवेशन को नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लॉइज एंड इंजीनियर्स (एन.सी.सी.ओ.ई.ई.ई.) ने आयोजित किया था। एन.सी.सी.ओ.ई.ई.ई. देश के सभी बिजली कर्मियों और इंजीनियरों की फेडरेशनों का एक संयुक्त मोर्चा है।
अधिवेशन की अध्यक्षता ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन, ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ पॉवर डिप्लोमा इंजीनियर्स, इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया पावर मेन्स फेडरेशन, इंडियन नेशनल इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन, आदि के सर्व हिन्द अध्यक्षों ने संयुक्त रूप से की।
अधिवेशन में पूरे देश के बिजली मजदूरों की यूनियनों व फेडरेशनों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
अधिवेशन को संबोधित करते हुए आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दूबे ने कहा कि बिजली संशोधन विधेयक बिजली वितरण के निजीकरण का एक जरिया है। बड़े-बड़े इजारेदार पूंजीवादी घरानों को सरकारी बिजली वितरण कंपनियों के बिजली के मौजूदा नेटवर्क का इस्तेमाल करने की छूट दी जाएगी। इजारेदार पूंजीवादी कंपनियों को बिजली की ऊंची दरें तय करने की छूट दी जाएगी, जिससे वे बेशुमार मुनाफे कमाएंगी। नतीजन सरकारी वितरण कंपनियां कंगाल हो जायेंगी और बाद में उन्हें औने-पौने दाम पर, उन्हीं इजारेदार पूंजीवादी घरानों को सौंप दिया जाएगा।
उन्होंने सरकार के उस दावे का भी खंडन किया कि इस विधेयक से उपभोक्ताओं को अपनी पसंद के बिजली वितरणकर्ता को चुनने की आज़ादी होगी। इजारेदार पूंजीवादी कंपनियों को अपने वितरण के क्षेत्र को चुनने की आज़ादी दी जाएगी, ताकि वे अधिक से अधिक मुनाफ़े बना सकें, जबकि उपभोक्ता को अपनी वितरण कंपनी चुनने की कोई छूट नहीं होगी ।
उन्होंने कहा कि इस ‘मुनाफे का निजीकरण और घाटे का राष्ट्रीयकरण’ की नीति के खि़लाफ़ मज़दूर-किसान-उपभोक्ता को मिलकर संघर्ष करना होगा।
बिजली मज़दूरों की यूनियनों व फेडरेशनों के नेताओं ने बिजली (संशोधन) विधेयक 2022 के विरोध में अपने विचार रखे। अधिवेशन में विपक्ष की कई राजनीतिक पार्टियों के नेताओं और सांसदों ने भी भाग लिया और सभा को संबोधित किया। किसान आन्दोलन के नेताओं ने भी इस विधेयक के विरोध में अपनी बातें रखीं। प्रमुख ट्रेड यूनियनों और मज़दूर संगठनों, एटक, मज़दूर एकता कमेटी, हिन्द मजदूर सभा, ए.आई.यू.टी.यू.सी., सी.आई.टी.यू., इत्यादि ने अधिवेशन में हिस्सा लेकर बिजली कर्मियों के संघर्ष का समर्थन किया।
अधिवेशन में यह फै़सला लिया गया कि यदि केंद्र सरकार ने बिजली कर्मियों की आवाज़ को अनसुना करके, जबरदस्ती से बिजली (संशोधन) विधेयक 2022 को संसद में पेश करती है, तो जिस दिन पर ऐसा करती है, उसी दिन देशभर के तमाम 27 लाख बिजली कर्मचारी और इंजीनियर तत्काल काम बंद करेंगे।
इसके अलावा, 10 अगस्त को देशभर में सभी जिलों और परियोजना मुख्यालयों पर बिजली कर्मचारी व्यापक विरोध प्रदर्शन करके अपनी एकजुटता का प्रदर्शन करेंगे।