नई श्रम संहिता : निर्माण मज़दूरों की समिति ने इस क़दम का विरोध किया

ऐसी खबरें आ रही हैं कि श्रम मंत्रालय “संशोधित वेतन संहिता विधेयक” के लिए कैबिनेट से मंजूरी लेने की प्रक्रिया में है। यह 2017 में मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए चार विधेयकों में से यह एक है, जिन्हें मौजूदा 44 श्रम कानूनों की जगह लागू किया जाएगा। इनमें से एक प्रस्तावित कानून सामाजिक सुरक्षा और कल्याण से संबंधित है। इस नियमावली को सामाजिक सुरक्षा कोड कहा जा रहा है और इसके तहत पेंशन, विकलांगता और जीवन बीमा के साथ-साथ मातृत्व, चिकित्सा और बेरोज़गारी कवरेज के 15 मौजूदा कानूनों को सम्मिलित किया जायेगा। सरकार का दावा है कि इस कानून के तहत संगठित और असंगठित दोनों ही क्षेत्रों के मज़दूर शामिल किये जायेंगे, जिनकी तादाद करीब 50 करोड़ है।

लेकिन निर्माण मज़दूरों ने इस नए कानून का विरोध करते हुए कहा है कि इस कानून के लागू हो जाने से वर्तमान कानून के तहत निर्माण मज़दूरों को जो भी पेंशन लाभ मिल रहा है, वह भी उनसे छीन लिया जाएगा। इस नए श्रम कोड से मौजूदा कानून, भवन और अन्य निर्माण श्रमिक (बी.ओ.सी.डब्ल्यू.) अधिनियम, बिलिंडग एंड अदर कंस्ट्रक्शंस वर्कर्स (बी.ओ.सी.डब्ल्यू.) एक्ट को ख़ारिज किया जायेगा, जिसके तहत निर्माण मज़दूरों को कई सुविधाएं हासिल हैं। 1996 के बी.ओ.सी.डब्ल्यू. अधिनियम को ख़ारिज किये जाने से सभी 36 राज्य बी.ओ.सी.डब्ल्यू. बोर्ड बंद हो जाएंगे और 4 करोड़ पंजीकृत लाभार्थी मज़दूरों का पंजीकरण निरस्त हो जायेगा। मौजूदा कानून के तहत निर्माण मज़दूरों को बी.ओ.सी.डब्ल्यू. बोर्ड से सामाजिक सुरक्षा हासिल है और इसके लिए पर्याप्त धन भी उपलब्ध है, जो कि निर्माण उद्योग पर 1 प्रतिशत सेस के रूप में इकट्ठा किया जाता है। यह सेस राज्य स्तर के बोर्डों द्वारा वसूल किया जाता है और इससे जमा धन को सामाजिक सुरक्षा की विभिन्न योजनाओं के तहत निर्माण मज़दूरों में वितरित किया जाता है। लेकिन यह भी देखने में आया है कि राज्य सरकारें इस धन को वितरित नहीं करती हैं और इसके लिए उनकी आलोचना भी की गयी है। अनुमान है कि, लाखों हज़ारों करोड़़ रुपए राज्य सरकारों के पास अटके हुए हैं। लेकिन इन बोर्डों को ख़त्म करना, इस समस्या का समाधान नहीं है।

एक प्रमुख मुद्दा यह है कि नए कानून के तहत, जो मज़दूर बड़ी मुश्किल से न्यूनतम मज़दूरी हासिल कर पाता है उसे भी मजबूरन इस सामाजिक सुरक्षा निधि में योगदान देना होगा। निर्माण मज़दूरों का राष्ट्रीय अभियान (नेशनल कैंपेन फॉर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स) निर्माण मज़दूरों और अन्य असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों के अधिकारों के लिए लड़ने वाला एक संगठन है। उनके मुताबिक, मौजूदा कानून (बी.ओ.सी.डब्ल्यू. अधिनियम, 1996) जिसके तहत निर्माण कंपनियों को कुल निर्माण लागत का 1-2 प्रतिशत सेस के रूप में देना होता है, यह व्यवस्था सामाजिक सुरक्षा योजना निधि के लिए धन जुटाने की सबसे उचित व्यवस्था है। बी.ओ.सी.डब्ल्यू. बोर्डों को बंद करने से निर्माण मज़दूरों को बहुत नुकसान होगा। विभिन्न राज्यों में लाखों पुराने तथा विकलांग मज़दूरों की पेंशन रुक जाएगी, निर्माण मज़दूरों के सैकड़ों बच्चों को शिक्षा के लिए मिलने वाला भत्ता तथा मुफ्त सेवाएं बंद हो जाएंगी और मातृत्व लाभ सहित कई अन्य लाभ मिलने भी बंद हो जायेंगे।

एक और चिंताजनक मुद्दा है, इस नए नियमावली के तहत मज़दूरों के पंजीकरण का मुद्दा। इस नियमावली के सभी पहलूओं के प्रबंधन के लिए एक केंद्रीय सामाजिक सुरक्षा बोर्ड की स्थापना करने का प्रस्ताव है और उनके साथ राज्य-स्तरीय बोर्ड भी बनायें जाएंगे। देशभर के सभी मज़दूरों को खुद को बोर्डों के साथ पंजीकृत करना होगा। इसके साथ उन्हें आधार कार्ड से जुड़ा एक सामाजिक सुरक्षा खाता खुलवाना होगा जिसे विश्वकर्मा कार्मिक सुरक्षा खाता या “विकास” कहा जा रहा है। जब कभी मज़दूर एक मालिक से दूसरे मालिक के पास जायेगा, यानी अपनी नौकरी बदलेगा, उसको अपने पंजीकरण की जानकारी को अपडेट करना होगा। मज़दूरों को इस बात की चिंता है कि उनके काम की विविधता और लगातार बदलाव के चलते यह नया कानून अनौपचारिक क्षेत्र के सभी मज़दूरों के पंजीकरण को कैसे सुनिश्चित करेगा? स्व-रोज़गार मज़दूरों को छोड़कर सभी मज़दूरों को पंजीकरण के लिए मज़दूर-मालिक का औपचारिक संबंध स्थापित करना अनिवार्य है। अभी तक निर्माण मज़दूरों के मामले में निर्माण मज़दूर यूनियन मज़दूरों के लिए कल्याण बोर्ड में पंजीकरण की सेवा प्रदान कर रही है। नए कोड के तहत, अलग-अलग उद्योगों के लिए विशिष्ट बोर्डों की स्थापना की जाएगी। जिन्हें निजी संस्थाओं द्वारा संचालित “सुविधा केंद्र” के ज़रिये चलाया जाएगा।

यदि कोई मज़दूर न्यूनतम वेतन की श्रेणी में नहीं आता है तो उसे अपने मासिक वेतन का 12.5 प्रतिशत से 20 प्रतिशत तक का हिस्सा योगदान के रूप में देना होगा। न्यूनतम मज़दूरी से कम कमाने वाले मज़दूरों को सामाजिक सुरक्षा में योगदान देने से छूट दी गई है। लेकिन सामाजिक सुरक्षा का लाभ उठाने के लिए, मज़दूरों को समय-समय पर अपनी आय और रोज़गार का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करना होगा। इस प्रकार कोई मज़दूर सामाजिक सुरक्षा का लाभ उठाने के लिए पात्र है, ये साबित करने की जिम्मेदारी खुद उस मज़दूर की होगी।

निर्माण मज़दूरों के राष्ट्रीय अभियान ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने नए विधेयक पर अपना विरोध व्यक्त किया है।

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