अमरीकी रक्षा सचिव की हिन्दोस्तान यात्रा : हिन्दोस्तान-अमरीका रणनैतिक गठबंधन का विरोध करें!

जून, 2012 में अमरीकी रक्षा सचिव लियोन पैनेटा की हिन्दोस्तान यात्रा की मजदूर एकता लहर निंदा करती है। इस यात्रा का उद्देश्य था कि चीन, ईरान, सीरिया, पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान के प्रति अमरीका और हिन्दोस्तान के साम्राज्यवादी इरादों के बीच में समन्वय बनाना। इस यात्रा के दौरान कई अरबों डॉलरों के हथियारों की खरीदी पर सौदे भी किये गये।

जून, 2012 में अमरीकी रक्षा सचिव लियोन पैनेटा की हिन्दोस्तान यात्रा की मजदूर एकता लहर निंदा करती है। इस यात्रा का उद्देश्य था कि चीन, ईरान, सीरिया, पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान के प्रति अमरीका और हिन्दोस्तान के साम्राज्यवादी इरादों के बीच में समन्वय बनाना। इस यात्रा के दौरान कई अरबों डॉलरों के हथियारों की खरीदी पर सौदे भी किये गये।

पैनेटा की यह यात्रा पिछले तीन महीनों में अमरीकी सरकार के प्रतिनिधियों की ओर से तीसरी हिन्दोस्तान यात्रा है। अप्रैल में अमरीकी राजनीतिक-सैनिक मामलों के सहसचिव हिन्दोस्तान आये थे और उसके बाद मई में विदेश सचिव हिलेरी क्लिंटन यहां आयी थी। इन यात्राओं से स्पष्ट होता है कि हिन्दोस्तान के शासक वर्ग के साथ निकट रणनैतिक संबंध बनाने पर अमरीकी साम्राज्यवाद बहुत महत्व दे रहा है।

इस समय हिन्दोस्तान दुनिया का सबसे बड़ा हथियारों का खरीदार है। बीते दशक के अन्दर ही हिन्दोस्तान और अमरीका के बीच में हथियारों के सौदे लगभग शून्य से बढ़कर 8 अरब डॉलर हो गये हैं। अनुमान है कि जल्दी ही और 8 अरब डॉलर के हथियारों के सौदे होने वाले हैं। इससे अमरीकी साम्राज्यवाद के सैनिक औद्योगिक कारोबार को बहुत बढ़ावा मिलता है।

अमरीकी साम्राज्यवादी हिन्दोस्तान को अपना ''सांझा'' देश मानते हैं। अमरीकी साम्राज्यवाद ''पूर्व की ओर'' हिन्दोस्तानी पूंजीपतियों के साम्राज्यवादी मंसूबों को प्रेरित करना चाहते हैं और उसे चीन को घेरने में अमरीकी साम्राज्यवाद के मित्र के रूप में काम करने को प्रोत्साहित कर रहे हैं। पैनेटा ने अपनी यात्रा के दौरान, एशिया में अमरीका की रणनीति में हिन्दोस्तान के महत्व पर जोर दिया।

अपनी यात्रा के दौरान पैनेटा ने हिन्दोस्तान और पाकिस्तान के बीच दुश्मनी को और भड़काने का प्रयास किया। अमरीकी साम्राज्यवादी यह नहीं चाहते कि हमारे दोनों देशों के लोग अपनी आपसी समस्याओं को हल करें और आपस में शांति और मित्रता के साथ रहें। ठीक इसी समय पर, जब हिन्दोस्तान और पाकिस्तान की सरकारों ने व्यापार और लोगों के आने-जाने पर लगे प्रतिबंधों में छूट देने के कुछ कदम उठाये हैं, तब पैनेटा ने हिन्दोस्तान की धरती से पाकिस्तान पर हमला किया। उसने पाकिस्तान पर आतंकवाद के साथ नरमी दिखाने का आरोप लगाया और अफ़गानिस्तान की सुरक्षा में हिन्दोस्तान की भूमिका की बात की। हिन्दोस्तान के बाद उसने अपनी यात्रा-योजना से हटकर काबुल की यात्रा की, और वहां से भी उसने फिर से पाकिस्तान पर हमला किया।

विदित है कि पाकिस्तान की सरकार और लोग उस देश पर बार-बार हो रहे अमरीकी ड्रोन हमलों की निंदा करते आ रहे हैं, जिन हमलों की वजह से हजारों नागरिक तथा सैनिक मारे गये हैं। इन ड्रोन हमलों के खिलाफ़ अपना विरोध दर्ज करने के लिये पाकिस्तान ने अपने इलाके के अन्दर से अफ़गानिस्तान जाने के लिये अमरीकी फौज़ों की सप्लाई के रास्तों को रोक रखा है। पाकिस्तान की सरकार ने यह मांग की है कि अमरीकी सरकार इन हमलों के लिये मांफी मांगे और पाकिस्तान की संप्रभुता का हनन करने वाले ऐसे हमलों को रोक दे। यह बात अब छुपी नहीं है कि प्रत्येक ड्रोन हमला और उसका निशाना स्वयं अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के निर्देशन से होता है। अमरीकी साम्राज्यवादियों ने बीते हमलों के लिये मांफी नहीं मांगी है, बल्कि उन्होंने पाकिस्तान पर ड्रोन हमले जारी रखे हैं। इन हालतों में पाकिस्तान के शासकों में बहुत ही कम ऐसे लोग होंगे जो अफ़गानिस्तान जाने के अमरीकी सेनाओं के रास्ते खोलने की अमरीका की घमंडी मांग को मानने की हिम्मत कर सकते हैं।

इस समय अपना रौब जमाने की अमरीका की योजना और हिन्दोस्तानी शासक पूंजीपतियों की साम्राज्यवादी रणनीति के संदर्भ में पैनेटा की यात्रा को समझना होगा। हिन्दोस्तानी शासक वर्ग खुद को दुनिया में एक उदीयमान ताकत मानता है। वह अपनी पूंजी का निर्यात कर रहा है और अपने बाजारों को विस्तृत कर रहा है, जिसके लिये उसे अधिक से अधिक ऊर्जा और कच्चे माल के स्रोतों की जरूरत है। वह मानता है कि एक ''बड़ी ताकत'' होने के नाते उसे यह ''अधिकार'' है कि वह सिर्फ दक्षिण एशिया में ही नहीं बल्कि और दूर-दूर तक अपनी प्रधानता को जमाये। वह अफ्रीका से लेकर मालक्का जलसंयोजी तक पूरे इलाके को अपना प्रभाव क्षेत्र मानता है। वह दक्षिण चीनी समुद्र में भी धीरे-धीरे, पांव दबाकर, घुसने का प्रयास कर रहा है, परन्तु इस समय चीन के साथ सीधा मुठभेड़ नहीं चाहता है। अपने साम्राज्यवादी मंसूबों के समर्थन में वह तेज़ी से फौजीकरण कर रहा है और साथ ही साथ, अलग-अलग देशों के साथ अपना संबंध बना रहा है।

अमरीकी साम्राज्यवाद एशिया पर अपना प्रभुत्व धीरे-धीरे बढ़ाता जा रहा है। अफ़गानिस्तान और इराक पर हमला और कब्ज़ा इस दिशा में उसकी कोशिशों के हिस्से हैं। अमरीकी साम्राज्यवाद इस इलाके में अपना प्रभुत्व जमाने की योजनाओं के रास्ते पर चीन और उससे कुछ कम हद तक रूस को मुख्य चुनौती मानता है। इसीलिये वह जापान, आस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के साथ अपने पुराने संबंधों को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है और साथ ही साथ, हिन्दोस्तान जैसे देशों के साथ नई ''सांझेदारी'' बनाने की सक्रियता से कोशिश कर रहा है। वह हिन्दोस्तान को खुद को इस इलाके में एक बड़ी ताकत के रूप में देखने तथा चीन से टक्कर लेने को प्रोत्साहित कर रहा है।

हिन्दोस्तान और अमरीका के बीच में यह बढ़ता सहयोग और सहकार्य दोनों देशों के लालची इजारेदार पूंजीपतियों के बीच सहयोग और सहकार्य है। दोनों देशों के इजारेदार पूंजीपति अपने तथा दूसरे देशों के लोगों के श्रम और संसाधनों की लूट को और बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। इसकी वजह से हमारे इलाके में साम्राज्यवादी जंग का खतरा बहुत बढ़ जाता है।

मई में हिलेरी क्लिंटन की यात्रा की तरह, अमरीकी रक्षा सचिव पैनेटा की यात्रा का मकसद ऐसे संबंध को मजबूत करना है, जो हमारे लोगों के हितों और इस इलाके में शांति व सुरक्षा के खिलाफ़ है। पैनेटा उस अमरीकी साम्राज्यवादी जंग मशीन का प्रतिनिधि है, जिसने इतिहास की किसी और ताकत से ज्यादा, पूरी दुनिया में तथा अपने पड़ौस के इलाके में लोगों की हत्या की है। हिन्दोस्तान के मजदूर वर्ग और मेहनतकशों को एक आवाज़ के साथ इस यात्रा की निंदा करनी चाहिये और हमारे देश के मुट्ठीभर शोषकों के तंग साम्राज्यवादी हित के लिये हिन्दोस्तान की सरकार द्वारा अपनाये गये इस खतरनाक रास्ते के खिलाफ़ अपना विरोध संघर्ष तेज़ करना चाहिये।

Share and Enjoy !

Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *