मणिपुर में शिक्षकों की अनिश्चितकालीन हड़ताल

पिछले 2 वर्ष 6 महीने से, जब से मानव संसाधन मंत्रालय ने 31 दिसम्बर, 2008 से यू.जी.सी. के लिए संशोधित वेतन की घोषणा की है, तब से मणिपुर के कालेज शिक्षक इन सिफारिशों की अमल की मांग करते आये हैं।

पिछले 2 वर्ष 6 महीने से, जब से मानव संसाधन मंत्रालय ने 31 दिसम्बर, 2008 से यू.जी.सी. के लिए संशोधित वेतन की घोषणा की है, तब से मणिपुर के कालेज शिक्षक इन सिफारिशों की अमल की मांग करते आये हैं।

ऑल मणिपुर कालेज टीचर एसोसियेशन (ए.एम.सी.टी.ए.) ने कई बार राज्य के शिक्षा मंत्री और मुख्य मंत्री को इस संबंध में ज्ञापन दिया है। लेकिन हर बार उन्हें केवल आश्वासन ही हाथ आया है, कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गयी है। जनवरी 2010 में शिक्षकों के कई संगठनों ने मिलकर फेडरेशन ऑफ कालेज टीचर एसोसियेशंस, मणिपुर (एफ.ई.सी.टी.ए.एम.) नाम के एक संयुक्त संगठन का गठन किया जिसमें ए.एम.सी.टी.ए., ऑल मणिपुर गवर्नमेंट कालेज टीचर असोसियेशन (ए.एम.जी.सी.टी.इ.एम.) और अन्य कई कालेज टीचर एसोसियेशन शामिल हैं।

(एफ.ई.सी.टी.ए.एम.) ने अपने संघर्ष को और तेज करने का फैसला किया है और इसके लिए धरने, सामूहिक केजुअल छुट्टी और अन्य तरीकों को अपनाया है। 3 जून, 2011 को मणिपुर सरकार ने एक त्रुटिपूर्ण आदेश निकाला जिसके अनुसार, वेतनमान छठे संशोधित वेतनमान से अलग था। शिक्षकों ने इस त्रुटिपूर्ण वेतनमान को मानने से इंकार किया। उन्होंने हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी। सरकार के अपील करने पर इस चेतावनी को कई बार आगे बढ़ाया गया। लेकिन आज तक शिक्षकों को कोई राहत नहीं दी गयी है और केवल आश्वासन दिया गया है कि “उनकी मांगों पर गौर किया जायेगा”। सरकार के इस रवैये से परेशान होकर शिक्षकों ने 1 अगस्त, 2011 से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू करने का फैसला लिया। उन्होंने तय कर लिया है कि उनकी यह हड़ताल तब तक चलती रहेगी जब तक उनकी जायज मांगों को स्वीकार नहीं किया जाता।

Share and Enjoy !

Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *