उत्पीड़न के स्पष्ट उदाहरण – एयर इंडिया की रक्षा करने के लिये
2010 के गर्मी के मौसम में, मैंगलूरू की विमान दुर्घटना के बाद, इंजीनियर, कैबिन क्रू और जमीनी काम के कर्मचारियों ने अचानक हड़ताल की। हड़ताल का तात्कालीन कारण यह था कि सरकार ने अपने सीएमडी के जरिये, बैंगलूरू से मैंगलूरू जाने वाले बचाव विमान को सरटिफाई कराने के लिये एक निजी इंजीनियर को नियुक्त किया था। यह इसके बावजूद किया गया, कि इंडियन एयरलाइंस के विमान चालक अपने विमानों की फिटनेस की ज
2010 के गर्मी के मौसम में, मैंगलूरू की विमान दुर्घटना के बाद, इंजीनियर, कैबिन क्रू और जमीनी काम के कर्मचारियों ने अचानक हड़ताल की। हड़ताल का तात्कालीन कारण यह था कि सरकार ने अपने सीएमडी के जरिये, बैंगलूरू से मैंगलूरू जाने वाले बचाव विमान को सरटिफाई कराने के लिये एक निजी इंजीनियर को नियुक्त किया था। यह इसके बावजूद किया गया, कि इंडियन एयरलाइंस के विमान चालक अपने विमानों की फिटनेस की जांच करने के लिये सारी दुनिया के कोने-कोने में भेजे जाते हैं। एयर इंडिया के विमानों का निजी इंजीनियरों द्वारा सरटिफिकेशन कराने का काम इससे पहले ही शुरु हो गया था।
जैसा कि एयर इंडिया के इंजीनियरों ने बताया है, सरटिफिकेशन सिर्फ हस्ताक्षर करने का सवाल नहीं है। इसका मतलब है उस मशीन को अच्छी तरह जानना। एयर इंडिया के इंजीनियर यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि सवारियों की जिंदगी किसी छोटे-मोटे कारण के लिये खतरे में न डाली जाये।
हड़ताल के बाद कई कार्यकर्ताओं को निलंबित या बर्खास्त किया गया। इनमें कैबिन क्रू, जमीनी कर्मचारी और इंजीनियर भी शामिल थे।
ये सभी निलंबन और बर्खास्तगी दफा 13ए के तहत की गई, जिसे एयर इंडिया के मजदूर एक उपनिवेशवादी कानून बताते हैं, जिसके समान विकसित पूजीवादी देशों में प्रबंधन और मजदूरों के बीच समझौतों में कोई कानून नहीं है। इस कानून के तहत प्रबंधन या सरकार बिना जांच किये ही मजदूरों पर हमला कर सकती है, यह बताकर कि मजदूर मानसिक बीमारी का शिकार है, या उसने कोई अपराध किया है या काम करने के काबिल नहीं है।
जुलाई 2011 के आरंभ में, चेन्नई मुख्य न्यायालय ने एक बर्खास्त इंजीनियर द्वारा दर्ज किये गये मामले में अरविंद जाधव के फैसले पर सवाल उठाया था। मजदूरों और प्रबंधन के बीच समझौते में दफा 13ए के औचित्य पर भी न्यायालय ने सवाल उठाया था। इंजीनियर ने कहा था कि चूंकि वह चेन्नई कार्यालय के यूनियन का पदाधिकारी था, अतः जब उसके यूनियन ने हड़ताल का आह्वान किया तो वह हड़ताल पर जाने को बाध्य था। केन्द्र सरकार ने उस इंजीनियर के उत्पीड़न पर कुछ नहीं कहा है, सिर्फ नागरिक उड्डयन मंत्री ने खोखला वादा किया है कि कोई उत्पीड़न नहीं किया जाएगा।
हड़ताल समाप्त हो जाने के दो दिन बाद, दो कैबिन क्रू के सदस्यों को पूर्व तिथि वाले निलंबन के नोटिस जारी किये गये, जबकि उन दो दिनों में उन्होंने उड़ानों पर काम किया था। यह उत्पीड़न का स्पष्ट उदाहरण है।