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  • हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की स्थापना की 43वीं वर्षगांठ पर भाषण :
    आइए, हम एक आधुनिक लोकतंत्र के लिए संघर्ष को आगे बढ़ाएं, जिसमें मज़दूर और किसान एजेंडा तय करेंगे!


    पार्टी की हर सालगिरह पर हम देश के मज़दूर वर्ग और लोगों की स्थिति का जायज़ा लेते हैं। हम चर्चा करते हैं कि हुक्मरान सरमायदार वर्ग के ख़िलाफ़ वर्ग संघर्ष को कैसे आगे बढ़ाया जाए।

  • 1984 में सिखों के जनसंहार की 39वीं बरसी :
    जनसंहार से सबक


    हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केन्द्रीय समिति का बयान, 25 अक्तूबर, 2023
    हमें राजनीतिक व्यवस्था को बदलने के उद्देश्य से सांप्रदायिकता और सांप्रदायिक हिंसा के ख़िलाफ़ संघर्ष को तेज़ करना होगा, ताकि सरमायदार वर्ग की हुकूमत की जगह पर मज़दूरों, किसानों और सभी मेहनतकशों की हुकूमत स्थापित की जा सके। सिर्फ ऐसा करके ही यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि जीवन का अधिकार, ज़मीर का अधिकार और अन्य सभी मानव अधिकारों व लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन नहीं होगा और किसी के साथ उसकी आस्था के आधार पर भेदभाव नहीं किया जायेगा।


  • फ़िलिस्तीनी लोगों के किये जा रहे जनसंहार के लिए अमरीकी समर्थन की निंदा करें!

    हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केंद्रीय समिति का बयान, 21 अक्तूबर, 2023

    अमरीकी सरकार ने खुलेआम इज़रायल को अपना राजनीतिक और सैनिक समर्थन दिया है। अल अहली अरब अस्पताल पर बमबारी के कुछ घंटों बाद राष्ट्रपति बाइडेन ने इज़रायल का दौरा किया और यह घोषणा की कि अमरीका अंत तक इज़रायल के साथ खड़ा रहेगा।


  • मणिपुर में क्या समस्या है और इसे कौन पैदा कर रहा है?


    मणिपुर की मौजूदा स्थिति के लिए हुक्मरान दोषी हैं, न कि जनता। तबाही और हिंसा के लिए न तो कुकी और न ही मैतेई लोग ज़िम्मेदार हैं। इसके विपरीत, वे इस हिंसा के शिकार हैं। मणिपुर में सांप्रदायिक हिंसा सत्ता में बैठे लोगों द्वारा सुरक्षा बलों, अदालतों और राज्य तंत्र के अन्य अंगों की सहायता से किया गया अपराध है। यह राजकीय आतंकवाद है।

  • गिग मज़दूर :
    तीव्र पूंजीवादी शोषण


    ब्लिंकिट के डिलीवरी मज़दूरों ने इस साल के अप्रैल महीने में, प्रति डिलीवरी पर किये गए वेतन में कटौती को लेकर जो हड़ताल की थी, उससे गिग मज़दूरों की हालतों और समस्याओं का मुद्दा फिर से उभर कर आगे आया है।

  • कर्नाटक विधानसभा के चुनाव-2023 :
    बदलाव का भ्रम


    इजारेदार पूंजीपति अपने धनबल का और मीडिया पर अपने नियंत्रण का इस्तेमाल करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनकी पसंदीदा पार्टी ही चुनाव जीते। मेहनतकश जनता के बीच व्यापक असंतोष और कर्नाटक में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के ख़िलाफ़ बढ़ते गुस्से को देखते हुए, इजारेदार पूंजीपतियों ने कांग्रेस पार्टी को समर्थन देने और इन चुनावों में उसकी जीत सुनिश्चित करने का फै़सला किया।

  • हम हैं इसके मालिक, हिन्दोस्तान हमारा!
    1857 के महान ग़दर की यह पुकार अभी तक साकार नहीं हुई है

     


    10 मई को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के ख़िलाफ़ हुये महान ग़दर की वर्षगांठ को हिन्दोस्तान के लोग बड़े गर्व के साथ मनाते हैं। 1857 में इसी दिन सेना की मेरठ छावनी के सैनिकों ने अंग्रेजों के ख़िलाफ़ बग़ावत का झंडा बुलंद किया था। उन्होंने दिल्ली की ओर कूच किया था और मुगल शासक बहादुर शाह ज़फर के समर्थन से अंग्रेजों को हिन्दोस्तान से निकाल फेंकने के अपने इरादे का ऐलान किया था। उन्होंने देश के कोने-कोने से सभी समुदायों के लोगों से अपने साथ जुड़ने का आह्वान किया था। उनका बहुत ही प्रेरणादायक नारा था – हम हैं इसके मालिक, हिन्दोस्तान हमारा!


  • मणिपुर में हुई हिंसा के लिए कौन ज़िम्मेदार है?


    3 मई से 5 मई, 2023 के बीच तीन दिन और तीन रात तक मणिपुर में अराजकता और हिंसा की हालतें बनी रहीं। राजधानी इंफाल, चुरचंदपुर, बिष्णुपुर सहित राज्य के कई अन्य शहरों और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में हथियार बंद गिरोहों ने उत्पात मचाया। उन्होंने लूटपाट की तथा मौत और तबाही फैलाई। लोगों के घरों और उनकी संपत्ति को बर्बाद किया।


  • मई दिवस, अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर वर्ग दिवस ज़िंदाबाद!

    पूंजीवादी व्यवस्था के ख़िलाफ़ संघर्ष को आगे बढ़ाएं!

    हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केंद्रीय समिति का आह्वान, 1 मई, 2023

    मई दिवस, अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर वर्ग दिवस के अवसर पर, कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी सभी देशों के मज़दूरों को सलाम करती है! हम उन सभी को सलाम करते हैं, जो बड़ी मुश्किल से हासिल किये गए अपने अधिकारों और जायज़ मांगों पर पूंजीपति वर्ग की सरकारों के क्रूर हमले के ख़िलाफ़़ लड़ रहे हैं।

  • एक ऐतिहासिक पहल की 30वीं सालगिरह :
    लोगों को सत्ता में लाने की आवश्यकता

    हमारे हुक्मरान यह दावा करते हैं कि हिन्दोस्तान  दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। इस दावे को आज से 30 साल पहले चुनौती दी गयी थी, उन लोगों द्वारा, जो जनसमुदाय की शक्तिहीन स्थिति के खिलाफ आवाज़ उठा रहे थे।

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