लेखों को सुनिए


  • मणिपुर में क्या समस्या है और इसे कौन पैदा कर रहा है?


    मणिपुर की मौजूदा स्थिति के लिए हुक्मरान दोषी हैं, न कि जनता। तबाही और हिंसा के लिए न तो कुकी और न ही मैतेई लोग ज़िम्मेदार हैं। इसके विपरीत, वे इस हिंसा के शिकार हैं। मणिपुर में सांप्रदायिक हिंसा सत्ता में बैठे लोगों द्वारा सुरक्षा बलों, अदालतों और राज्य तंत्र के अन्य अंगों की सहायता से किया गया अपराध है। यह राजकीय आतंकवाद है।

  • गिग मज़दूर :
    तीव्र पूंजीवादी शोषण


    ब्लिंकिट के डिलीवरी मज़दूरों ने इस साल के अप्रैल महीने में, प्रति डिलीवरी पर किये गए वेतन में कटौती को लेकर जो हड़ताल की थी, उससे गिग मज़दूरों की हालतों और समस्याओं का मुद्दा फिर से उभर कर आगे आया है।

  • कर्नाटक विधानसभा के चुनाव-2023 :
    बदलाव का भ्रम


    इजारेदार पूंजीपति अपने धनबल का और मीडिया पर अपने नियंत्रण का इस्तेमाल करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनकी पसंदीदा पार्टी ही चुनाव जीते। मेहनतकश जनता के बीच व्यापक असंतोष और कर्नाटक में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के ख़िलाफ़ बढ़ते गुस्से को देखते हुए, इजारेदार पूंजीपतियों ने कांग्रेस पार्टी को समर्थन देने और इन चुनावों में उसकी जीत सुनिश्चित करने का फै़सला किया।

  • हम हैं इसके मालिक, हिन्दोस्तान हमारा!
    1857 के महान ग़दर की यह पुकार अभी तक साकार नहीं हुई है

     


    10 मई को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के ख़िलाफ़ हुये महान ग़दर की वर्षगांठ को हिन्दोस्तान के लोग बड़े गर्व के साथ मनाते हैं। 1857 में इसी दिन सेना की मेरठ छावनी के सैनिकों ने अंग्रेजों के ख़िलाफ़ बग़ावत का झंडा बुलंद किया था। उन्होंने दिल्ली की ओर कूच किया था और मुगल शासक बहादुर शाह ज़फर के समर्थन से अंग्रेजों को हिन्दोस्तान से निकाल फेंकने के अपने इरादे का ऐलान किया था। उन्होंने देश के कोने-कोने से सभी समुदायों के लोगों से अपने साथ जुड़ने का आह्वान किया था। उनका बहुत ही प्रेरणादायक नारा था – हम हैं इसके मालिक, हिन्दोस्तान हमारा!


  • मणिपुर में हुई हिंसा के लिए कौन ज़िम्मेदार है?


    3 मई से 5 मई, 2023 के बीच तीन दिन और तीन रात तक मणिपुर में अराजकता और हिंसा की हालतें बनी रहीं। राजधानी इंफाल, चुरचंदपुर, बिष्णुपुर सहित राज्य के कई अन्य शहरों और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में हथियार बंद गिरोहों ने उत्पात मचाया। उन्होंने लूटपाट की तथा मौत और तबाही फैलाई। लोगों के घरों और उनकी संपत्ति को बर्बाद किया।


  • मई दिवस, अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर वर्ग दिवस ज़िंदाबाद!

    पूंजीवादी व्यवस्था के ख़िलाफ़ संघर्ष को आगे बढ़ाएं!

    हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केंद्रीय समिति का आह्वान, 1 मई, 2023

    मई दिवस, अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर वर्ग दिवस के अवसर पर, कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी सभी देशों के मज़दूरों को सलाम करती है! हम उन सभी को सलाम करते हैं, जो बड़ी मुश्किल से हासिल किये गए अपने अधिकारों और जायज़ मांगों पर पूंजीपति वर्ग की सरकारों के क्रूर हमले के ख़िलाफ़़ लड़ रहे हैं।

  • एक ऐतिहासिक पहल की 30वीं सालगिरह :
    लोगों को सत्ता में लाने की आवश्यकता

    हमारे हुक्मरान यह दावा करते हैं कि हिन्दोस्तान  दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। इस दावे को आज से 30 साल पहले चुनौती दी गयी थी, उन लोगों द्वारा, जो जनसमुदाय की शक्तिहीन स्थिति के खिलाफ आवाज़ उठा रहे थे।


  • सरकार द्वारा ख़रीद में कटौती के कारण गेहूं की खुदरा क़ीमतों में तेज़ी आई

    देशभर के क़स्बों और शहरों में काम करने वाले लोग जून 2022 से गेहूं की बढ़ती क़ीमतों का सामना कर रहे हैं। गेहूं जैसे ज़रूरी खाद्य पदार्थों की क़ीमतों में वृद्धि ने लोगों पर और बोझ डाल दिया है, जो पहले से ही एल.पी.जी., पेट्रोल और डीज़ल की बढ़ी हुई क़ीमतों का सामना कर रहे हैं।

  • आलू और प्याज के उत्पादकों का बार-बार होने वाला संकट :
    एकमात्र समाधान-लाभकारी क़ीमतों पर राज्य द्वारा ख़रीद की गारंटी

    हिन्दोस्तान में थोक प्याज के सबसे बड़े बाज़ार, महाराष्ट्र के नाशिक में प्याज की क़ीमतें पिछले दो महीनों में लगभग 70 प्रतिशत गिर गई हैं। महाराष्ट्र में प्याज उत्पादक अपनी फ़सल को एक रुपये से दो रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेचने को मजबूर हैं। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और पश्चिम बंगाल में आलू के किसानों को इसी तरह के संकट का सामना करना पड़ा है। आलू की क़ीमतें 4 रुपये प्रति किलोग्राम से नीचे आ गईं, जो उनकी उत्पादन लागत से काफी कम हैं।


  • पेरिस कम्यून और श्रमजीवी लोकतंत्र की श्रेष्ठता

    सरमायदार शासक वर्गों का दावा है कि बहुपार्टीवादी प्रतिनिधित्ववादी लोकतंत्र से बेहतर कोई विकल्प नहीं है
    18 मार्च, 1871 को स्थापित हुए पेरिस कम्यून ने दिखाया था कि उससे बेहतर एक विकल्प है – श्रमजीवी लोकतंत्र

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